लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700
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मित्रों! सफलता का अर्थ केवल हमारी अपनी सफलता नहीं है। यह स्वार्थ है। हमें स्थायी सफलता की चाह होनी चाहिए और ऐसी सफलता अच्छे आचरण से मिलती है और अच्छे आचरण के लिए हम में नैतिक धन होना आवश्यक है। नैतिक धन से आत्मबल मिलता है, आत्मबल से आत्मविश्वास और आत्मविश्वास से मनचाही सफलता। पर इसके लिए पाप से घृणा, असंयम से द्वेष, दुष्ट आचरण से बैर, कुविचारों का अपमान कीजिए और अन्याय से लड़िए। जिसमें ये दोष हों, उनसे दूरी रखिए। ये सफलता पाने के मूल मंत्र हैं।
‘सफलता का रहस्य-विवेक, श्रम, चरित्रबल और व्यावहारिकता- इन चार साधनों में निहित होता है।’