शख़्सियत :
डॉ. अल्पना गुप्ता |
मल्टीटेलेंट लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं, जो अपने प्रोफेशन के साथ अपनी रुचि या मन में छिपी प्रतिभा को समाज के सामने व्यक्त करते हैं। हम बात कर रहे हैं भारतीय और खासतौर पर जयपुर में जन्मी डॉ. अल्पना गुप्ता की जो अमेरिका के न्यूयार्क में रह भी अपनी संस्कृति, विरासत, कला और बचपन से अपनी रुचि, यादों को संस्कृति, करुणा, प्रेम, सादगी के साथ आधुनिकता को वाटर पेंट के जरिये ऐक्रेलिक शीट्स पर चित्रकारी बनाती आई हैं।
डॉ. अल्पना ने व्यस्त जीवन से पेंटिंग्स के लिए समय निकल कर तबकरीबन 1100 पेंटिंग्स अलग-अलग विषयों पर चित्रांकित की हैं। उनकी कलम की ये साधना है या उनके ज़ेहन में बसी स्मृतियां वे जिस चित्र को बनाती हैं वह खुद अपनी कहानी बयां करता है। उन तस्वीरों के नीचे यदि कैप्शन भी नहीं लिखा जाए तो हर शख्स उसको समझ सकता है।
बताना चाहूंगा डॉ. अल्पना जयपुर के साइंटिस्ट डॉ. पी.डी. गुप्ता की सुपुत्री हैं। डॉ. अल्पना को 20 वर्षों का फार्मास्युटिकल उद्योग का अनुभव है, प्रमुख चिकित्सीय क्षेत्रों, जैसे ऑन्कोलॉजी, सूजन, कार्डियोमेटाबोलिक और सीएनएस में दवाओं विकसित करना। इसके लिए डॉ. अल्पना को पीएच.डी. डिग्री हासिल है एवं जीआई कैंसर के लिए मार्कर के रूप में केराटिन प्रोटीन का उपयोग करने पर निज़ाम के आयुर्विज्ञान संस्थान (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से संबद्ध) में काम किया। इसके बाद, वह अमेरिका चली गईं, जहां उन्होंने न्यूयॉर्क मेडिकल कॉलेज और बायर डायग्नोस्टिक्स डिवीजन, एनवाई में रिसर्च एसोसिएटशिप की। अपने फार्मास्युटिकल करियर की शुरुआत एक छोटी दवा कंपनी (एमिस्फेयर टेक्नोलॉजीज, एनवाई) से की। जहाँ तीन वर्षों तक लैब में काम किया।
विज्ञान के क्षेत्र में इतनी महारत होने के बावजूद डॉ. अल्पना की चित्रकला में इतनी रुचि होगी, शायद हर किसी के बस की बात नहीं। लगता है उन्हें अपने माता पिता से विरासत में मिली हुई सीख है। पिता डॉ. पीडी. गुप्ता भी एक बहुत बड़ी शख्सियत हैं वे वैज्ञानिक एवं विज्ञान के बारे में दूर दृष्टि रखने वाले हैं जिन्होंने अनेक विषयों पर विज्ञान के क्षेत्र में किताबें लिखकर समाज को अपना योगदान दिया और दे रहे हैँ। मैं खुद पिता डॉ. साहिब से बहुत प्रभावित हूँ आज वे अपने जीवन के 80 से ज्यादा बसंत देख चुके हैं, जिन्होंने आधी से ज्यादा दुनिया के देशों की यूनिवर्सिटीज में जाकर अपने व्याख्यान दिए हैं, वे भी अपने व्यस्त जीवन में कोरोना के चलते हुए भी अनेक पेपर व कोरोना ज्ञान नामक बुक लिख चुके। डॉ. गुप्ता नियमित रूप से विज्ञान के क्षेत्र में अपडेट रहते हैं। यह उल्लेख मुझे इनकी सुपुत्री के लेख में इसलिए करना जरूरी लगा कि बच्चे माता-पिता से विरासत में मिले संस्कारों, लाइफ स्टाइल एवं दिनचर्या के पलों को भी अपने जीवन में अपना सकते हैं। ऐसा लगता है डॉ. अल्पना भी शायद पिता की तरह अपने आपको व्यस्त रखकर अपनी रुचि (पेंटिंग्स) में संस्कारों, करुणा, दया और आधुनिकता के रंग भर रही हैं।
डॉ. अल्पना गुप्ता अपने काम के अलावा, बागवानी, पढ़ने, व्यायाम करने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में भी रुचि है। वे एक शौकिया कलाकार भी हैं और चित्र, परिदृश्य, प्रकृति और जो कुछ भी उन्हें पसंद है उसे चित्रित करने के लिए ऐक्रेलिक माध्यम का उपयोग करती है। वह टोस्टमास्टर्स संगठन की एक सक्रिय सदस्य हैं, जो एक वैश्विक मंच है जहां नेताओं को बनाया जाता है। उन्होंने कई सहयोगियों, साथियों और युवाओं को प्रेरित करने और उनके आत्मविश्वास का निर्माण करने के लिए प्रशिक्षित और सलाह दी है। डॉ. अल्पना अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हैं और 25 से अधिक वर्षों से अमेरिका में रहने के बावजूद, भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को महत्व देती हैं। उनके दो बेटे हैं और वे अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क में रहती है।
हमने जब उनसे जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि मेरा फ्यूचर प्लान है कि लोक डाउन के बाद सब कुछ सामान्य होने पर अपनी पेंटिंग्स को अवाम तक पहुचाने के लिए जयपुर आकर उनकी प्रदर्शनी लगाऊं। डॉ. अल्पना बहुत ही सुलझे व्यक्तित्व, विज्ञान एवं अपनी संस्कृति से जुड़ी महिला हैं जो अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी अपनी मन, मस्तिष्क में बसी प्रतिभा को समय-समय पर चित्रों के रूप में उकेर रहीं हैं।
लेखक : सद्दीक अहमद