नितिन गडकरी एक अलग शख़्सियत

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नागपुर के एक हज़ार ग़रीब परिवारों के लिए आज बड़ा राहत का दिन है। नहीं, ऐसी बात नहीं है कि उक्त परिवार कोविड मुक्त हो गए हों। दरअसल, आज उन्हें एक एक किराणा किट वितरित किया  जा रहा है। सामान्यतः जन्म दिन पर सम्बंधित व्यक्ति को तोहफों से इस कदर लादा जाता है,कि उसे ही सूझ नहीं पड़ता कि ये सब है क्या?मग़र नागपुर का मामला बिलकुल हटकर है। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी वहाँ आज वहाँ अपना जन्म दिवस इसी अनोखी अदा में मना रहे हैं।

अब, इस तरह की बेहतरी के काम में भी किसी को कोई पूर्वाग्रह की कब्ज़ हो,तो ऐसे लोगों का इलाज शायद बाबा रामदेव के पास भी नहीं है। केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के बारे में मीडिया कहता रहा है कि भले वे आरएएस से निकले हों, मग़र इसी विचारधारा में गाफ़िल नहीं रहते। हालांकि संघ इस तरह के लोगों की तरफ ऑंखें तरेरता रहता है, पर गडकरी इसकी ज़्यादा परवाह नहीं पाला करते। कहते हैं, जब से उन्होंने मंत्री पद सम्हाला है, तब से मंत्रालय के काम में उन्होंने एक अपना नया फ़लसफ़ा गढ़ने की रिस्क उठाई है। बेहद पढ़ाकू गडकरी ने अपने अफसरान को ताक़ीद कर रखी है, या उनका ध्येय वाक्य है कि 'डोंट ब्रेक द लॉ, बट यू मोल्ड इट गुड़ फॉर गुड़ वर्क विद गुड एम'। कई जंग खाए नियमों को उन्होंने बदल देने की रिस्क भी उठाई है। 

उनका कहना रहता है कि यदि आपकी नीयत साफ़ है, तो कुछ खास लोगों का काम बिल्ली की तरह आपका रास्ता कटे बिना नही रहेगा। यदि आपकी  मजाक बन रही है तो तय मानिए आप अपना काम अच्छे से कर रहे हैं। इसीलिए नितिन गडकरी की एक नायाब पहचान एक लॉ मेकर में रूप में भी बन चुकी है। नितिन गडकरी एक ऐसे नेता का नाम कहे जाते हैं, जो खुद अपने बारे में कम से कम बोलते हैं। हाँ, मीडिया उन्हें रोडक़री, फ्लाई ओवरमैंन, विकास पुरुष,ऑल इन वन टाइटल देता रहा है। कहा तो यहाँ तक जाने लगा है कि इस नेता के कारण आम आदमी का गंदी राजनीति से उठा भरोसा फिर उसमें जमने लगा है। बात यहाँ तक पहुंच चुकी विपक्ष के चिकोटी काटने वाले नेता भी नितिन गडकरी के हक में आने लगे हैं। स्व. अटलजी, स्व. सुषमाजी,और स्व. अरुण शौरी  के बाद गडकरी को उक्त सम्मान हासिल हुआ है। वे राजनीति के अजात शत्रु भले न हों, मग़र उनमें जो करंट, चुम्बक, मेटल और पोटेशियल है, उसके कारण विपक्ष कभी भी उन्हें गले लगा सकता है। वर्ना, राजनीति के कामयाब जासूस डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी कुछ समय पहले ही इशारों-इशारों में पीएम नरेंद्र मोदी को नितिन गडकरी से रिप्लेस करने की वकालत नहीं करते।

नितिन गडक़री आम आदमी की  शिकायतें स्वयं आमंत्रित करते हैं। हमारे कथित जन नेता तो इसमें हेकडी समझते हैं। कहा जाता है कि तमाम निर्माण कार्यो का पैसा वे तब तक जारी नहीं करते, जब तक स्पॉट पर जाकर उक्त कार्यो का मानक स्तर खुद जांच नही लेते। हो सकता कई नामी गिरामी जैसे रवीश कुमार ही सही, मेरे कहे को एक तरफ़ा कहें। कुछ नई दिल्ली में बैठे हमारे परम् हितैषी और प्रातः स्मरणीय मित्रवीर पत्रकार भी मज़ाक बनाने लगें। उनसे सिर्फ़ इतना कहना है, अभी का दौर आपसी मुठभेड़ नहीं है दोस्त। फिर, कभी बही-खाते लेकर बैठ जाएंगे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)











लेखक : नवीन जैन

वरिष्ठ पत्रकार, इंदौर 

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