नमक उत्पादन की प्रक्रिया को देखा, देशी विदेशी परिंदों की सुरक्षा पर डाला खास फोकस
सांभरझील व नमक रिफाइनरी का निरीक्षण करते हाइकोर्ट एक्सर्ट कमेटी के सदस्य |
सांभर से शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। विश्व की एकमात्र 90 वर्गमील में फैली प्राकृतिक लवणीय सांभरझील में विगत करीब बीस वर्षों से व्याप्त अतिक्रमण एवं नमकीन पानी की हो रही चोरी की वजह से इसके अस्तित्व पर लगातार मण्डरा रहे सकंट को दूर करने में केन्द्र व प्रदेश सरकार की ओर से कोई ठोस व प्रभावी कदम उठाने में बरती जा रही लापरवाही व अनदेखी पर राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ की ओर से लिये गये स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के बाद दिये गये आदेश की अनुपालना में गठित एक्सपर्ट कमेटी की ओर से शनिवार को झील का निरीक्षण कर इसकी हकीकत को जाना एवं कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर तथ्य जुटाये, कमेटी की ओर से झील मामले को लेकर एक खास रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
यह लिखने योग्य है कि इस मामले में सांभरझील को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिये जयपुर में आयोजित बैठक में वन विभाग के उप वन संरक्षक, सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग एवं भूप्रबन्धन विभाग ने मिलकर सांभरझील का डिजीटल नक्शा तैयार कर लैंड यूज सिवायचक, चारागाह, औद्योगिक व औद्योगिक भूमि के रास्ता को दर्शाते हुये इसी आधार पर आगामी कार्यवाही किये जाने के लिये निर्णय लिये गये थे, साथ ही इस पर भी गहनता से मंथन किया गया है कि वेटलैण्ड एरिया यानी नमभूमि क्षेत्र, एरिया ऑफ इंफ्लूएंस के अलावा सैकड़ों प्रजातियों के देशी व विदेशी पक्षियों का क्रीड़ा केन्द्र को भी नक्शें में अलग से दर्शित करते हुये इसका भी मानचित्र तैयार किया जाये।
हाइकोर्ट एक्सपर्ट कमेटी की ओर से चूंकि इस मामले में विस्तृत व वास्तविक तथ्यों के साथ रिपोर्ट तैयार कर पेश की जानी है, इसीलिये तमाम बिंदुओं को बारीकी से समझने के लिये उस जगह का विशेष मौके पर जाकर अध्ययन किया गया जहां पर नमक उत्पादन से जुड़े नागौर जिले के नावां, जाब्तीनगर, गुढा आदि खास माने जाते है, इन्हीं क्षेत्रों में अवेध बोरवैल बनाकर नमकीन पानी की चोरी कर सांभरझील की धरती को न वरन खोखला किया गया बल्कि बीते वर्षों में इसके आसपास के कई किलोमीटर परिधि में पेयजल के स्रोतों पर जबरदस्त बुरा असर भी पडा है।
इसी संदर्भ में अब वर्ष 1992 व इससे पहले नमक उत्पादन करने वाली इकाईयों का रिकॉर्ड भी खंगाला जाकर उनका क्षेत्रफल, नमक उत्पादन, पानी का उपयोग, निकलने वाले वेस्ट व नमक उत्पादन पर निर्भर परिवारों की आजीविका का पता लगाया जायेगा इसकी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के संबंधित एसडीएम को कहा गया है। सांभर परिक्षेत्र में पर्यटन को लेकर किये गये निवेश एवं पर्यटकों की संख्या आदि के तथ्यात्तम आंकडे भी जुटाये जा रहे है तथा तमाम बातों पर गौर करते हुये इसके भौतिक सत्यापन को आधार बनाया जायेगा।
इसके पश्चात एक्सपर्ट कमेटी की ओर से सांभर साल्ट्स की रिफाइनरी में जाकर नमक बनाने की प्रक्रिया को देखा। इस मौके पर एक्सपर्ट कमेटी की श्रुति शर्मा प्रधान मुख्य वन संरक्षक, आरएन महरौत्रा पूर्व प्रमुख वन संरक्षक जयपुर, मुक्त वन्य जीव प्रमुख राजस्थान डॉ. अजीत पटनायक, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक उड़ीसा पी.सत्या सेल्वम, विशेषज्ञ एवियन बोटूलिज्म, अतिरिक्त निदेशक मुम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, जीएस भारद्वाज सदस्य सचिव राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल जयपुर, डॉ. आनन्द सेजरा अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग, आर.के. आमेरिया अतिरिक्त निदेशक उद्योग विभाग, एसडीएम सांभर राजकुमार कस्वा व एसडीएम नावा, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मण्डल किशनगढ सहित अनेक अधिकारी भी मौजूद रहे।