प्रतिस्पर्धा नहीं करें, लेकिन पूरक बनें
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जयपुर। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर, अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीती आयोग और एमएनआईटी के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर एमआईआईसी ने आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा पर संयुक्त रूप से विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया। इस दौरान माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मिशन को व्यावहारिक रूप देने में इंटीग्रेटेड इनोवेशंस, नवीन टैक्नोलाॅजी के क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स, अटल इनोवेशन मिशन और लोकल से ग्लोबल की भूमिका पर चर्चा की गई। जिन गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, उनमें प्रमुख हैं अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर और नीती आयोग के अतिरिक्त सचिव डॉ रमनन रामनाथन, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डाॅ. पी. आर. सोडानी और एमएनआईटी इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर एमआईआईसी के हैड प्रो ज्योतिर्मय माथुर। विचार-विमर्श सत्र का संचालन डीडी नेशनल के एंकर प्रो पुनीत शर्मा ने किया।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डाॅ. पी.आर. सोडानी ने इस दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा में स्पष्ट रूप से संसाधनों की पहचान करना, उनके कौशल को सशक्त बनाने और जो वे जानते हैं, उस कौशल का सम्मान करने की बात नजर आती है। यह महत्वपूर्ण बात है कि हमारे देश ने टीकों के निर्माण के क्षेत्र में और यहां तक कि उन्हें दूसरे देशों में आपूर्ति करने में भी जबरदस्त प्रगति की है, यह एक स्पष्ट संकेत है कि हम फायदों को सिर्फ अपने देश तक ही सीमित नहीं करते और इस तरह हम आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने का प्रयास करते हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी भी कुछ ऐसे ही विजन के साथ काम करती है, इसीलिए यूनिवर्सिटी ने सेंटर फाॅर इनोवेशन, इनक्यूबेशन और एंटरप्रेन्योरशिप की स्थापना की है। इस सेंटर के माध्यम से प्रतिभावान युवाओं को आगे आने का अवसर दिया जाता है और उनके इनोवेशंस को पूरा सपोर्ट प्रदान किया जाता है। आत्मनिर्भर भारत मिशन भी अनेक अर्थों में एक आत्मनिर्भर ग्लोबल लीडर बनने की क्षमता रखता है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी का मानना है कि आत्मनिर्भर भारत के विजन को प्रतिस्पर्धा से नहीं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़कर हासिल किया जा सकता है।
अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर और नीती आयोग के अतिरिक्त सचिव डॉ. रमनन रामनाथन ने कहा, कोविड-19 संकट ने हमारे दृष्टिकोण में बदलाव किया है और हमें आपदा में अवसर तलाश करना सिखाया है। महामारी से उपजे संकट ने हमें सिखाया है कि हम सभी चुनौतियों को अवसरों में किस तरह बदलें। न केवल तकनीकी कार्यान्वयन और उद्यमशीलता के अवसरों के माध्यम से, बल्कि लोकल के लिए वोकल और फिर ग्लोबल बनने के संभावित अवसरों के माध्यम से भी हमने चुनौतियों को अपने लिए अवसरों में बदला है। कोई भी इनोवेशन जो भारत में 1.3 बिलियन लोगों के लिए उपयोगी है, वह इस धरती के 7.4 बिलियन से अधिक लोगों के लिए भी एक समाधान हो सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि कोविड-19 संकट भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण हो सकता है। इस स्थिति ने स्टार्ट-अप्स को अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का अवसर दिया है और वे न केवल अपने देश के कॉरपोरेट्स को अपनी क्षमताएं दिखा सकते हैं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के सामने भी अपनी काबिलियत का प्रदर्शन कर सकते हैं।
अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर डॉ रमनन रामनाथन ने इस मौके पर आत्मनिर्भर भारत के 5 स्तंभों पर भी प्रकाश डाला। पहला स्तंभ आबादी से संबंधित है, जहां देश की युवा आबादी में ऐसी क्षमता नजर आती है कि वह न सिर्फ अपने देश को, बल्कि पूरी दुनिया को भी बदल सकती है। दूसरा स्तंभ इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा है, जिसके तहत 715 जिले, 650000 गांव और 8 टियर वन शहर आते हैं, जहां समान बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रयास करना आवश्यक है। तीसरा स्थान डिमांड से संबंधित स्तंभ का है, जो हमें बताता है कि 1.3 बिलियन लोगों की मांग का अर्थ है कि भारत अब तक का सबसे बड़ा बाजार है और स्टार्ट-अप को मांग के लिए किसी अन्य देश की तरफ देखने की जरूरत भी नहीं है। चैथा स्तंभ सामाजिक-आर्थिक प्रगति है। प्रौद्योगिकी का स्तंभ 5 वां स्तंभ है जिसे डिजिटल बंटवारे को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भी जरूरी है कि कृषि में पारंपरिक चुनौतियों को दूर करने के लिए एग्री-टेक को लागू किया जाना चाहिए।
एमएनआईटी इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर एमआईआईसी के हैड प्रो ज्योतिर्मय माथुर ने कहा, एमएनआईटी अपने एमएनआईटी इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर (एमआईआईसी) के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में योगदान देता है। आज जरूरत इस बात की है कि संस्थानों को स्टार्ट-अप को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन्हें संसाधनों के उपयोग का समान लाभ प्रदान करने का अवसर देना चाहिए। साथ ही स्टार्टअप्स के लिए आवेदन से संबंधित प्रोसेसिंग में लगने वाले समय को भी कम करना होगा, ताकि वे अपने प्रोडक्ट्स पर अधिक ध्यान दे सकें। इसके अलावा, संस्थानों को स्टार्ट-अप की फंडिंग की ओर भी पूरा ध्यान देना चाहिए, जिससे वे देश के भीतर मांग और आपूर्ति में पर्याप्त वृद्धि के स्तर को कायम रख सकें।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस गति को तेज करने के लिए 650 से अधिक जिलों में लगभग 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स लॉन्च किए गए थे, जिनमें से लगभग 7260 चालू हैं, 3.5 मिलियन स्कूल जाने वाले बच्चे नवीन टैक्नोलाॅजी तक अपनी पहुंच बना सकते हैं। 68 अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स के जरिये 2000 से अधिक स्टार्ट-अप को फंडिंग उपलब्ध कराई गई है, जिनमें से 625 ऐसे स्टार्ट-अप कार्यशील हैं, जिन्हें महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है। अटल इनोवेशन मिशन ने 5000 से अधिक मेंटाॅर्स और 30 से अधिक कॉर्पोरेट्स का एक व्यापक नेटवर्क भी बनाया है।
डीडी नेशनल के एंकर प्रो. पुनीत शर्मा ने कहा, आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा अपने आप में एक बेहतरीन और अनूठी पहल है। इस अवधारणा को हकीकत में बदलने के लिए सरकार, निजी संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों को मिलजुल कर मजबूत प्रयास करने होंगे। प्रो अमर पटनायक ने सत्र के आखिर में प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया।