के-पॉप का हाथ, अब जलवायु परिवर्तन के मुद्दे के साथ!

निशांत की रिपोर्ट 

लखनऊ (यूपी)

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दुनिया भर के युवाओं में कोरियन पॉप, या के-पॉप, संगीत ने धूम मचाई हुई है। लेकिन इस संगीत के प्रशंसक सिर्फ संगीत के उन्माद में ही चूर नहीं रहते, बल्कि अपनी सामाजिक भूमिका को भी बड़ी संजीदगी से लेते हैं।

जहाँ एक ओर के-पॉप ने हाल के वर्षों में सांस्‍कृतिक फलक पर खासा दबदबा बना लिया  है, वहीं इसके प्रशंसक सामाजिक न्‍याय के लिये अपने अनोखे और सशक्‍त सक्रियतावाद के लिये मशहूर हैं। जंगलों को बचाने के लिए याचिका दायर करने से लेकर, आपदा पीड़ितों के लिए नकदी जुटाने तक, दुनिया भर में के-पॉप प्रशंसकों की बढ़ती सेना जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में नवीनतम बल के रूप में उभरी है।

युवा और तकनीक के जानकार, के-पॉप प्रेमियों ने राजनीतिक मुद्दों को उठाने के लिए अपनी सोशल मीडिया शक्ति का उपयोग किया है, जिसमें पिछले साल संयुक्त राज्य में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के लिए धन जुटाना और थाईलैंड के लोकतंत्र समर्थक विरोध का समर्थन करना शामिल है।

लेकिन समूह अब जलवायु परिवर्तन पर तेजी से मुखर हो रहा है। और पर्यावरण के मुद्दों पर सुर्खियों में है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे दुनिया के कुछ हिस्सों में अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता है।

और इसी क्रम में नवम्‍बर में आयोजित होने जा रही 26वीं यूएन क्‍लाइमेट चेंज कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी26) से पहले केपॉप4प्‍लैनेट नामक के-पॉप प्रशंसकों द्वारा संचालित अपनी तरह के एक पहले जलवायु संरक्षण कार्रवाई मंच की शुरुआत की गयी है।

बल्कि कुछ ही दिन पहले के-पॉप सुपरस्‍टार्स ब्‍लैकपिंक सीओपी26 के आधिकारिक पैरोकार नियुक्‍त किये गये हैं। पिछले साल दिसम्‍बर में ब्‍लैकपिंक ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के अपील करते हुए एक वीडियो जारी किया था, जिसे 20 लाख से ज्‍यादा लोगों ने देखा था। उसके बाद उन्‍हें सीओपी26 से जुड़ी यह जिम्‍मेदारी दी गयी है।

के-पॉप इन प्रशंसकों ने अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान टलसा में तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प द्वारा दिये गये प्रचार अभियान भाषण को सोशल मीडिया पर खासा ट्रोल किया था। वहीं, #blacklivesmatter मुहिम के लिये धन भी जुटाया। इसके अलावा उन्‍होंने थाइलैंड में लोकतंत्र की स्‍थापना के लिये प्रदर्शन भी किये।

के-पॉप जलवायु परिवर्तन रोकने की दिशा में भी उल्‍लेखनीय योगदान कर रहा है। प्रतिमाओं के सम्‍मान में पौधे लगाना, लुप्‍तप्राय जानवरों को अंगीकार करना और जलवायु सम्‍बन्‍धी आपदाओं के शिकार हुए लोगों की मदद के लिये वित्‍तीय जनसहयोग लेना के-पॉप की आम गतिविधियों में शामिल है। हालांकि आवाजें खासी बिखरी हुई थीं इस वजह से उन पर अब तक ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया गया।

केपॉप4प्‍लैनेट नामक इस नये मंच का लक्ष्‍य एक ऐसा मंच बनने का है जहां के-पॉप के प्रशंसक एकजुट हों, जलवायु सम्‍बन्‍धी संकट पर विचार-विमर्श करें और सीखें। साथ ही इस मुद्दे पर समान विचारों वाले लोगों के साथ मिलकर जलवायु संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास करें। इससे सरकारों तथा कारोबारी इकाइयों को हमारे भविष्‍य को सुरक्षित रखने के लिये सार्थक प्रयासों के लिये प्रेरित करने की दिशा में के-पॉप के अनोखे और सशक्‍त सक्रियतावाद (एक्टिविज्‍म) का सही इस्‍तेमाल किया जा सकेगा।

कोरिया के विदेश मामलों के मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2019 तक 98 देशों में के-कल्‍चर के 1799 फैन क्‍लब थे, जिनके 10 करोड़ से ज्‍यादा सदस्‍य हैं। इससे जाहिर होता है कि उनकी मुहिम में एक नयी तरह की वैश्विक जलवायु कार्रवाई की शक्‍ल लेने की असीम क्षमता है।

केपॉप4प्‍लैनेट के संगठनकर्ता और के-पॉप की प्रशंसक नूरुल सरीफा ने कहा कि विभिन्‍न मंचों के प्रशंसकों ने उनके अभियान को पहले ही अपना लिया है और पूरी दुनिया से उन्‍हें समर्थन मिल रहा है।

नूरुल ने कहा जलवायु परिवर्तन हमारी पीढ़ी का संकट है। के-पॉप के प्रशंसकों में ज्‍यादातर जेन जेड और मि‍लेनियल्‍स शामिल हैं, हम उन लोगों में से हैं जो आज लिये गये फैसलों या निर्णय नहीं लिये जाने से सबसे ज्‍यादा प्रभावित होंगे। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का मतलब अपने भविष्‍य के लिये संघर्ष करना है।

के-पॉप के प्रशंसकों का जलवायु परिवर्तन के प्रति संरक्षण अभियान में शामिल होना कोई नया चलन नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से प्रशंसकों के समूहों की तरफ से जलवायु सम्‍बन्‍धी न्‍याय और अन्‍य सामाजिक मुद्दों को लेकर लगातार आवाज उठायी जा रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)