जागरुकता और जानकारी से बहरेपन के मामलों में लाई जा सकती है कमी : डॉ. रघु शर्मा

 विश्व श्रवण दिवस

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जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजस्थान डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि बहरेपन की समस्या को जागरूकता और जानकारी के जरिए काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे की स्क्रीनिंग करवाई जाए और बुजुर्ग भी इस बारे में सजग रहें तो बधिरता जैसी बीमारी के मामलों को कम किया जा सकता है।

डॉ. शर्मा पंचायती राज संस्थान में विश्व श्रवण दिवस के मौके पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) 2014-15 में 12 जिलों में प्रारम्भ हुआ, जो कि अब सभी जिलों में संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए बीमारी अथवा चोट के कारण होने वाली श्रवण क्षमता की कमी की रोकथाम, श्रवण क्षमता को कम करने वाली कान की समस्याओं की शीघ्र पहचान एवं उपचार करना, बहरेपन से पीड़ित समस्त लोगो का पुर्नवास, यंत्र सामग्री एवं ट्रेनिंग देकर संस्थागत क्षमता का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 900 से ज्यादा कॉक्लियर इम्प्लांट करवाए जा चुके हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिला अस्पताल में सांउड प्रूफ कमरे का निर्माण किया गया है, जिसमें सभी मरीजों की श्रवण बाध्यता की जांच कर बहरेपन की डिग्री का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए प्योरटोन ऑडीमीटर, इम्पेडिएंस ऑडीमीटर, ओएई जैसी आधुनिक मशीनों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान प्रदेशवासियों की बेहतर सेहत पर है। यही वजह है कि राज्य सरकार द्वारा बजट में भी स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने पर ज्यादा जोर दिया गया है। सरकार की मंशा है कि राज्य का कोई भी व्यक्ति बीमार ही नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित ‘निरोगी राजस्थान‘ अभियान के दस बिंदुओं में शिशु, किशोर से लेकर बुजुर्गों तक का खास ख्याल रखा गया है। 

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ महाजन ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमें इसका महत्व प्रत्येक घर और परिवार तक समझाना होगा। इसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति जागरूक रहेगा तो बधिरता जैसी बीमारी समाज में आसानी से जगह नहीं बना सकेगी। उन्होंने संगोष्ठी में आए चिकित्सकों और अधिकारियों को कार्यक्रम के बारे में स्थानीय स्तर पर जागरूकता लाने के भी निर्देश दिए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक नरेश कुमार ठकराल ने कहा कि बधिरता कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते इलाज करवाने और जागरूकता से इसका निदान संभव है। उन्होंने बताया कि विभिन्न सर्जरी, यंत्रों द्वारा सरकारी खर्चे पर आसानी से इलाज भी संभव है।

जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ. के. के. शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि बधिरता उन्मूलन के लिए प्रदेश के विशेषज्ञों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है और चिकित्सा संस्थानों में इससे संबंधित सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, ताकि आमजन को तुरंत राहत मिल सके।

राज्य प्रभारी अधिकारी श्रीमती निर्मला शर्मा ने प्रस्तुतिकरण के जरिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से रूबरू करवाया। साथ ही जागरूकता संबंधित पोस्टर का विमोचन किया गया। इस अवसर पर निदेशक आरसीएच डॉ.एलएस ओला सहित अन्य प्रदेश भर से आए चिकित्सक व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।