एक ही ट्रक में कई डीलरों के लॉड किये है गेहूं, बिना वजन कराये ही संभलाये जाते है गेहूं के कट्टे
जांच में कम पाये जाने पर डीलरों को ठहराया जाता है दोषी, यह परम्परा से ही चली आ रही है
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सांभरझील। सरकारी गोदाम से निकलकर डीलरों तक पहुंचते पहुंचते राशन का गेहूं कम कैसे हो जाता है, इसका आज तक न प्रशासन के अधिकारी और न ही सम्बिन्धत विभाग शोध कर सका है। सरकार की ओर से गरीब परिवारों तक नि:शुल्क गेहूं पहुचानें की योजना को साकार करने के लिए जो प्रभावी कदम उठाए जा रहे है, उसमें अभी भी कहीं न कहीं कोई तकनीकी व प्रशासनिक खामी आज भी बनी हुई है। भारतीय खाद्य निगम के धर्मकांटे से तुलकर जो कि एक सरकारी स्टेंर्ड तोल मापक यंत्र माना जाता है, यदि इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों तक डीलरों तक पहुंचने वाला गेहंस तोल में कम हो जाता है तो इससे आश्चर्य कम और रहस्य जाता छिपा हुआ है। इसको सरल तरीके से ऐसे समझा जा सकता है कि जरूरत के मुताबिक एफसीआई के गोदाम से ट्रक में भरकर माल बाकायदा उनके स्टेंर्ड कांटे में तुलकर निकलता है उसे कोई इसलिए चेंलेज नहीं कर सकता है कि वह एक प्रमाणिक सरकारी तोल मापक यंत्र है।
एफसीआई के गोदाम से निकलने वाला गेहूं पूरी तरह से सुरिक्षत व सही प्रकार से सीले हुए बारदाने यानी छोटी बोरी में पैक होता है। इस माल की बिल्टी यानी वितरण प्रपत्र तैयार कर डीलरों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सांभर में क्रय विक्रय सहकारी समिति की होती है कि वह सही प्रकार माल को उन तक पहुंचाये, लेकिन एफसीआई के गोदाम से सुरक्षित निकले गेहूं के भरे कट्टे रास्ते में किस प्रकार से कट-फट जाते है और इनका गेहूं कम हो जाता है, एक बार ऐसा हो जाये तो समझ में आ भी सकता है लेकिन हमेशा ही ऐसा होता रहे तो फिर गेहूं वितरण में बहुत बडी धांधली होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए भी है कि शनिवार को जब गाडी सांभर पहुंची तो उसमें गेहूं से भरे अनेक कट्टे कटे-फटे थे, जिनका गेहूं ट्रक में चारों और बिखरा हुआ था।
अत्यधिक संदेह होने पर जब सांभर के एक डीलर ने इस गाडी को अन्यत्र धर्मकांटे पर तुलवाया तो उसने बताया कि सरकारी बिल्टी के अनुसार उसको 5,535 किलोग्राम गेहूं बारदाना का वजन घटाकर मिलना चाहिये था लेकिन जब उसका अन्यत्र दो जगहों पर अलग अलग कांटों पर वजन कराया गया तो 5,390 किलोग्राम निकला यानी कुल 145 किलो गेहूं निकला है, पिछली बार भी मेरे खाते में 40 किलो गेहूं पांती आया था। इस बार भी सांभर में 30 जनवरी को पांच राशन डीलरों को वितरण करने के लिये कुल 380 गेहूं के कट्टे भिजवाये गये थे जिनका वजन बिल्टी में 19219.600 किलोग्राम दर्शाश गया है, जबकि प्रत्येक कट्टे का वजन भी अलग अलग तौल में बताया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी वे अपने तौल को ही सही बता रहे है, जबकि पौश मशीन में उसके 5,535 किलो गेंहूं की शुद्ध एण्ट्री की जायेगी, लेकिन जो उसका गेहूं कम मिला है आज तक उसकी भरपायी एफसीआई की ओर से नहीं की गयी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 150 राशन डीलरों के जरिए गरीबों तक गेहूं पहुंचाने का काम किया जा रहा है, तो इसमें कितनी बडी साजिश हो सकती है इसका सहजता से अंदाजा लगाना इसलिए मुश्किल है कि यह गडबडझाला आज से नहीं कई दशकों से चला आ रहा है। डीलर यदि कोई आवाज उठाने की कोशिश की जाती है तो भ्रष्ट तंत्र इतना हावी है कि उस डीलर की जांच करने के दौरान यदि एक किलों गेहूं भी कम मिलता है तो उसे संस्पेण्ड कर दिया जाता है ताकि वह दोबारा आवाज उठाने लायक ही नहीं रहे, और फिर उस दुकान को अपने चहेते डीलर के अटेच कर दिया जाता है जो उनके मुताबिक काम कर सके। इस मामले में जयपुर एफसीआई के सीड्स मैनेजर मुरारीलाल मीणा से बात करने पर बताया कि हमारी ओर से पूरा माल केवीएसएस को दिया जाता है, हमारे पास शिकायत आने पर हम नियमानुसार नोटिस देकर कार्रवाई करेंगे। डीलर को वारदाना सहित तोलकर गेहूं दिया जा रहा है तो वह भी गलत है क्योंकि हमारे स्तर से पहले ही वादाने का वजन कम करके ही माल दिया जाता है।