प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि एक समुदाय को जीने के अधिकार से वंचित किया जाना यह सिद्ध करता है कि जिस तरह से इस समुदाय के मकान और घरेलू उपयोग मैं आने वाले सामान को आग के हवाले किया गया है और उसके बाद मकानों को बिना नोटिस दिये गिराया गया है। वह यह प्रकट करता है कि इस तरह की घटना मानव अधिकारों के खिलाफ शर्मनाक प्रवृत्ति है।
शासन -प्रशासन द्वारा असली मुजरिम को तलाश करने का प्रयास अभी नही किया जाना बल्कि इस समुदाय के ऐसे लोगों को प्रताडित किया जा रहा है जिनका इस घटना से कहीं से कहीं तक कोई संबंध नहीं है। सच यह है कि जो दिखाया गया है वह वास्तविकता से कोसों दूर है। यदि प्रशासन सजग और संवेदनशील होता तो यह घटना ही घटित नहीं होती। दुख इस बात का है कि आज तक यह भी जानकारी नहीं दी गई कि रैली निकालने की अनुमति किसने दी और इसका मार्ग क्या तय किया गया था जबकि अल्पसंख्यक बस्तियों से रैली निकालने की अनुमति नहीं देना चाहिए थी। यदि दी तो पयॉप्त मात्रा मे पुलिस बल की व्यवस्था की जानी थी जो नहीं की गयी।
विडम्बना है कि अभी भी इन जगहों पर दशहत का वातावरण है और अभी भी अमन का माहौल नहीं कायम हो सका है। लोग खौफ के माहौल में रहने को मजबूर हैं। प्रतिनिधि मंडल ने तुरंत न्याय और पीडितों की सुरक्षा,चिकित्सीय व्यवस्था कराने पर जोर दिया और कहा की इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो, वह सजग रहे जिससे ऐसी घटनाओ से बचा जा सके। इन घटनाओ मैं 100 से अधिक परिवार प्रभावित हुए है उनको 50 लाख रूपये प्रति परिवार देने का अनुरोध किया जाकर प्रत्येक परिवार से एक सदस्य को नोकरी देने की मांग की है। ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए वास्तविक दोषियो के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। (प्रेस विज्ञप्ति)