लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद 9837028700
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यदि आपका मस्तिष्क मौन का अनुशासन समझ चुका है, तब स्थितियाँ एक मार्ग खोलती दृष्टिगोचर होने लगती हैं। मौन की अवस्था में सभी विचार मस्तिष्क पटल पर सिनेमा-दृश्यों की भाँति आते-जाते रहते हैं। कुछ समय में हम स्वयं को वैचारिक द्वंद्व के मध्य शांति के साथ मौन की पराकाष्ठा वाली स्थिति में पाते हैं। जीवन की आपाधापी से कुछ समय मौन के लिए निर्धारित कर समग्र ऊर्जा को संग्रहित करें जो दुनिया के कोलाहल में डूबी हुई है। इस प्रक्रिया से हमारी आंतरिक शक्ति का दर्शन होगा और निर्णायक शक्ति की क्षमता भी होगी।
अतः मौन को धारणा की वास्तविक रूप में बदलने हेतु जीवन के उन आयामों का ज्ञान होता, जिनको हम-आप समझ ही नहीं पाते।