रोजे का तोहफा है ईद 


माहे रमजान महके ऐसे जैसे चारो ओर बिखरी फ़िरदौस है!
वो सहर का वक़्त, वो इबादत का दिन, वो इफ्तार का वक़्त!


राहें, निगाहें सब पाक है कहता यूं ये माहे रमज़ान है!
दान, इबादत बसे यूं हर रुह में, ये पाक फरमान है!


रहे ना भूखा, सोये न भूखा, है ये अल्ल्लाह का फरमान!
महीने भर की इबादत के बाद आएं खुशियां अपार!


आए ईद सबके लिए लेकर खुशियां हजार...!  
इस ईद ना गले मिले, ना मुसाफा (हाथ मिलाना) करें!


ना जाए बाहर, रहे सुरक्षित घर पर, विश करें फोन पर!



छवि एडवोकेट
जयपुर