ट्रंप टैरिफ 27 अगस्त लागू होने के बाद भारत के समक्ष कई चुनौती सामने आ सकती है। निर्यात कम होने से बेरोजगारी बढ़ सकती है। स्थानीय व्यवसाय पर भी असर पड़ेगा। भारत को डरना नहीं चाहिए। वैश्विक स्तर पर भारत ने मजबूत अर्थव्यवथा के साथ साथ विकसित देश की पहचान बनाई है। टैरिफ के बाद बाजार व अर्थव्यस्था पर भी असर पड़ेगा। लेकिन आत्म-निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छा मूल मंत्र स्वदेशी अपनाएं का होगा।
सरकार जीएसटी में व्यापारी वर्ग को राहत दे। कम ब्याज दर पर ऋण सुनिश्चित करें ताकि घरेलू उत्पाद प्रतिस्पर्धी बने रहे। स्वदेशी उत्पाद पर लागत मूल्य के बाद कम से कम टैक्स लगाया जाए ताकि वह बाजार में टिक सके। आम नागरिक खरीद सके। इससे घरेलू उद्योग धंधे विकसित होंगे। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।बेरोजगारी पर रोक लग सकती है। सरकार कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 देश में आउटरीच कार्यक्रम की योजना बना रही है। भारत सरकार के पास बहुत बड़ा स्थानीय बाजार उपलब्ध है जो भारतीय उत्पाद का 80% उपभोग करता है और भी खपत की गुंजाइश हो सकती है। जो सामान भारत अमेरिका को निर्यात नहीं कर सकता है उसके लिए अन्य देशों में भी प्रयास किया जा सकते हैं। कई विकल्प है जिन्हे सरकार योजनाबद्ध तरीके से शुरू करेगी ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर पहले ही सरकार तैयार रहे। टैरिफ दुर्भावनावश व भारत को नीचा दिखाने के लिए लगाया गया है। लेकिन भारत के साथ कई देश खड़े है। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।