शीश महल बनाम राजमहल

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जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने शीश महल बनवाया तो पूरी बीजेपी सरकार उस पर प्रहार करती रही। अब दिल्ली की मुख्यमंत्री के बंगले का रिनोवेशन होने जा रहा है। इसमें 2 टन के 14 ऐसी लगेंगे जिसका खर्चा 7.7 लाख है। 15 स्मार्ट टीवी जिनका खर्च 9.3 लाख रुपए हैं। 16 दीवार के पंखे लगेंगे। 2 लाख का यूपीएस सिस्टम लगेगा। 6 लाख से ऊपर की लाइट लगेगी। 5.73 लाख के 14 सीसीटीवी  लगेंगे। 1.8 लाख रुपए के 23 प्रीमियम पंख लगेंगे। जिसका खर्चा एक पॉइंट आठ लाख है। किचन में 85000 के टोस्टर ओवन और गीजर लगेंगे। 77,000 का डिशवॉशर लगेगा। 63 हजार का गैस स्टोव आएगा। 1.09 लाख रुपए के माइक्रोवेव और वाशिंग मशीन आएंगे। 91 हजार के छह गीजर लगेंगे। 115 डेकोरेटिव लाइट्स लगेगी जिनके खर्च ₹6 लाख हैं।

भारत का एक मध्यम वर्गीय परिवार एक ऐसी भी नहीं लगवा सकता है क्योंकि बिजली का बिल ज्यादा आने का डर रहता है। देश की आधी जनता भूखी सोती है ।आदिवासी इलाकों तक राशन नहीं पहुंच रहा है, वहां के लोग कुपोषण से ग्रसित है। शिक्षा पर 18% जीएसटी है। रहने को घर नहीं है। लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है। गांवों में बिजली नहीं है। पहनने को शरीर पर पूरे कपड़े तक नहीं है। बेरोजगारी की समस्याओं से त्रस्त होकर युवा नशे की लत की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन हमारे नेताओं को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है एक अकेली महिला के लिए रिनोवेशन पर इतना खर्चा जरूरी है क्या? शायद यह नेता बनते ही इसीलिए हैं ताकि देश की गरीब जनता से वसूले गए टैक्स के पैसे से अपनी सुविधा के साधन जुटा सके। चुनाव से पहले यही फरमाती थी कि मैं तो सिंपल बंगले में रह लूंगी। अब बीजेपी सरकार मौन क्यों है? (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।