लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700
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आज तोताराम बहुत परेशान और हड़बड़ाहट में था। आते ही बोला- मास्टर, भावना आहत हो गई।
हमने कहा- तो यहाँ क्या कर रहा है ? डॉक्टर के पास ले जा। हमारी मदद की कोई जरूरत हो तो बता।
बोला- मैं उस भावना की बात नहीं कर रहा हूँ।
हमने फिर पूछा- तो फिर तेरी पोती के अलावा क्या पड़ोस में कोई भावना है जो आहत हो गई?
बोला- वह भावना नहीं। मैं किसी और भावना की बात कर रहा हूँ। क्या करूँ, तू हिन्दी में नहीं समझ रहा है और अंग्रेजी बोलते हुए मुझे एक सच्चा भारतीय संस्कारी हिन्दू होने के कारण बहुत शर्म आ रही है लेकिन क्या करूँ तुझ जैसा देशद्रोही हिन्दी में समझ ही नहीं रहा है। अमित शाह जी से क्षमायाचना सहित बता रहा हूँ कि मेरी भावना मतलब सेंटिमेंट्स, फीलिंग हर्ट हो गई।
हमने कहा- जब मोदी जी ने तेरा 18 महिने का डीए का एरियर कोरोना की आड़ में हजम कर लिया था और अब तेरा सरकारी कर्मचारी का दर्जा छीनकर भविष्य में आठवें पे कमीशन से बाहर कर दिया तब तो तेरी भावना आहत नहीं हुई। हाँ, कभी मोरारी बापू के सूतक प्रसंग तो कभी राज ठाकरे द्वारा अस्वच्छ गंगा जल न पीने से तेरी भावना जरूर आहत हो जाती है।
बोला- डीए और पे कमीशन के बिना क्या मर जाएंगे ? मोदी जी जब 80 करोड़ लोगों को 5-5- किलो राशन दे रहे हैं तो क्या हमें भूखा मरने देंगे ? आज तो बहुत बड़ा मामला है। सारी दुनिया में हमारी इज्जत का कचरा हो गया।
हमने कहा- तो क्या ट्रम्प ने मोदी जी को चिढ़ाने के लिए फिर कह दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम मैंने करवाया था?
बोला- लोग लाल आँख और 56 इंची का सत्य समझ चुके हैं। अब ट्रम्प के उस स्टेटमेंट से किसी को कोई परेशानी नहीं होती।
हमने कहा- अब साफ-साफ और जल्दी बताना हो तो बता नहीं तो बात खत्म कर। चाय ठंडी हुई जा रही है ।
बोला- मैं क्या कहूँ। भारत जैसे संस्कारी हिन्दू राष्ट्र के लिए यह डूब मरने की बात है। तू ही पढ़ ले ।
और तोताराम ने अपने फोन में किसी अखबार की एक कटिंग हमारी आँखों के आगे कर दी-
अमेरिकी विदेश विभाग की एडवाइजरी कहती है कि भारत में अपराध और आतंकवाद का जोखिम बढ़ रहा है। वहीं महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं, ऐसे में अमेरिकी महिलाएं अगर भारत की यात्रा कर रही हैं तो वह अकेले कहीं जाने से बचें और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें।
बोला- अब दुनिया में हमारी क्या इज्जत रह गई ? हम तो ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते’ वाले देश है। हमारी सबसे पूज्य लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा सब स्त्रियाँ हैं।
हमने कहा- हम भी तो अपनी महिलाओं और बच्चियों को यही सलाह देते हैं और ऐसे ही ध्यान रखते हैं। एहतियात बरतने में क्या बुराई है? और फिर निर्भया कांड और उसके बाद हजारों ऐसे वीभत्स कांड हो चुके हैं कि नहीं? बिलकिस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी मानकर छोड़े जाने के कुकृत्य का क्या किसी के पास कोई उत्तर है ?
और फिर इसमें हम क्या कर सकते हैं ? अगर तेरी भावना ज्यादा ही आहत हो गई है तो जा, पुलिस स्टेशन चला जा।
बोला- गया था वहाँ भी गया था लेकिन थानेदार ने कहा- इन फालतू शिकायतों के लिए हमारे पास समय नहीं है। बहुत वर्षों पहले एक लड़की भी आई थी । कह रही थी-दरोगा जी, चोरी हो गई। हम गए तो कोई चोरी-वोरी नहीं हुई थी । वैसे ही किसी इश्क-फिशक का चक्कर निकला।
हाँ, किसी मुसलमान या राहुल गाँधी या नेहा सिंह के खिलाफ भावना आहत होने का मामला हो तो बता, अभी लिख लेंगे लेकिन ट्रम्प के खिलाफ हम कोई एफ आई आर नहीं लिखेंगे। उसके खिलाफ तो वे शेर दिल वीर तक कुछ नहीं बोल सकते जो खुद अकेले को ही सब पर भारी मानते हों।
हमने कहा- तो चुप बैठ। जब मोदी जी को ही भारत के सम्मान के विरुद्ध ऐसे कुटिल और झूठे कमेंट पर कोई कष्ट, क्रोध और शर्म नहीं है तो तूने ही क्या देश के सम्मान का ठेका ले रखा है ? बैठ और चाय पी।
बोला- नहीं मास्टर, कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा। यह देश के सम्मान का मामला है।
हमने कहा- तो फिर अपन भी ‘बरामद संसद’ की ओर से एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर देते हैं कि जब तक ट्रम्प भारत के चरित्र के खिलाफ इस घटिया कमेंट के लिए लिखित में माफी नहीं माँगेंगे तब तक हम उसके व्हाइट हाउस में लंच या डिनर का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे।
बोला- यह हुई ना मर्दों वाली बात, मोदी जी की तरह 35 मिनट की टेलेफोनिक चर्चा में ट्रम्प को खरी खरी की तरह। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)