सांभर में दो दशक से खुले में कचरा डिपो के कारण समस्या बरकार

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। स्थानीय पालिका प्रशासन सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के चाहे लाख दावे कर ले लेकिन धरातल पर सब कुछ उल्टा पुल्टा ही चल रहा है। पहले पोर्टल पर कचरे की फोटो खींचकर अधिकारी तक पहुंचाने का जोश भी ठंडा पड़ गया है, क्योंकि आम जन की समस्या के हल के लिए हर अधिकारी अपने-अपने हिसाब से व्यवस्था को अंजाम देने का दम तो भरते जरूर है लेकिन कुछ समय बाद उसकी भी हवा निकल जाती है। बता दें की राजकीय युनानी औषधालय व सार्वजनिक नेहरु बालोद्यान के पास से जाने वाला मुगल सिंधी मोहल्ला के रास्ते के नजदीक यानी राजकीय युनानी औषधालय के पिछवाड़े की तरफ विगत दो दशक से खुले में कचरा संग्रहण केंद्र बना हुआ है। बता दें पालिका प्रशासन के निर्देश पर निजी वाहन चालकों का यहां पार्किंग स्थल भी है। 

आवागमन लगातार बना रहता है, जब तक रोजाना कचरा सफाई कर्मचारी उठाकर ले जाते हैं तब तक आवारा जानवर यहां पर मंडराते रहते हैं। इस मामले को लेकर यहां के पूर्व चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर फारुख खान ने अनेक दफा पालिका प्रशासन को पत्र भी लिखे लेकिन उसे भी नजरअंदाज कर दिया। नया बस स्टैंड के पास भी पेशाब घर के चारों ओर काफी दूरी तक खुले में कचरा फैला होने से गंदगी का आलम रहता है। मुख्य मार्ग के नजदीक होने से बाहर से आने वाले लोगों पर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ता है। 

इस अव्यवस्था को किस प्रकार दूर किया जाए आज तक किसी भी अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी ने फोकस ही नहीं किया। पार्षदों को तो जैसे नगर से कोई लेना-देना नहीं है, एक दो पार्षद यदि गलती से अपने वर्ल्ड की समस्या उठा भी लेते हैं तो उनकी भी कोई सुनवाई नहीं होती है। सत्ता पक्ष में बैठे नेता कुछ करने की स्थिति में नहीं है तो विपक्ष भी आराम की नींद सो रहा है। राजनेताओं और प्रशासन की अनदेखी के कारण यहां पर व्यवस्था पूरी तरह से चौपट बनी हुई है। प्रदेश सरकार की जो मंशा बनी हुई है सफाई व्यवस्था को लेकर वह भी पूरी तरह से यहां का सिस्टम फेल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।