लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700
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आज तोताराम को बोलने का मौका न देते हुए हमने ही प्रश्न दाग दिया - तोताराम, अगर मोदी जी की आत्मा जाग जाए तो?
बोला- जागेगी तो तब ना जब सोयेगी। न मोदी जी सोते हैं , न उनकी आत्मा। सोये के जगाने की बात उठती है। सोवत ताहि जगाइए , जागे कौन जगाय। कुम्भकर्ण छह महीने सोता था और एक दिन जागता था। मोदी जी छह महीने जागकर भी एक दिन मुश्किल से सोते हैं। और तब भी कैमरे कितना सोने देते होंगे क्योंकि कैमरे की फ्लैश बहुत चमकदार होती है और जब 50-50 कैमरों की चमक हो तो कहना ही क्या ? ये तो मोदी जी हैं जिन्हें चकाचौंध में आँखें खुली रखने का अभ्यास है। साधारण आदमी तो इतनी चमक से अंधा ही हो जाए।
हमने कहा- फिर भी मान ले जागी हुई आत्मा ही जाग जाए तो?
बोला- तो ज़रूर कुछ न कुछ अच्छा काम करेगी। हाँ, जागा हुआ शरीर ज़रूर भौतिक सुख के चक्कर में कुछ भी अनुचित कर सकता है।
हमने कहा- क्या अच्छा कर सकती है?
बोला- देख, हर खाते में 15-15 लाख रुपए और हर साल दो करोड़ नौकरियों की बात तो करना मत क्योंकि मूर्ख से मूर्ख आदमी भी यह जानता है कि ये दोनों बातें असंभव हैं । जिन्होंने इन्हें सच माना वे एक नंबर के बेवकूफ थे और जो अब भी छत पर चढ़कर अच्छे दिनों को करवा चौथ के चाँद की तरह देखने की कोशिश कर रहे हैं वे महा बेवकूफ हैं।
हाँ, एक बात हो सकती है कि अगर कभी उनकी आत्मा शांत-एकांत रात में कहे कि हे नरेंद्र मोदी, तूने 200-400 रुपए के एक-दो टीके लगवाकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 18 महिने का डीए का एरियर खाकर अच्छा नहीं किया। दे दे उनका बकाया एरियर। सबको इस दुनिया से जाना है। क्यों बूढ़ों की आत्मा दुखाता है। तो हो सकता है एरियर दे दें।
हमने पूछा- तो फिर तू इतनी बड़ी रकम का क्या करेगा?
बोला- एक सेंट्रल विष्ठा जैसा छोटा-मोटा घर बनवा लूँगा और एक मोदी जी जैसा प्लेन खरीद लूँगा।
हमने कहा- तोताराम, अब तू साफ मजाक कर रहा है। लेकिन 40-50 हजार का एरियर तो बन ही जाएगा तो हमारा सुझाव है कि तू अपना गोरा होने का ट्रीटमेंट करवा ले। कुछ कमी-बेसी होगी तो मोदी जी की 70 साल से ऊपर वालों के फ्री इलाज स्कीम में एडजस्ट हो जाएगा। गोरा होने का सबसे बढ़िया इलाज गुजरात में होता है। हम वहाँ छह साल रहे हैं। अब भी जानपहचान है । कहेगा तो कोई संदर्भ भी दे देंगे। करवा आना इलाज।
बोला- मैंने तो सुना है गुजरात में मोदी जी की आयुष्मान भारत योजना में 17 लोगों को जबरदस्ती स्टेंट लगा दिए जिनमें से दो की तो मौत भी हो गई ।
हमने कहा- तुझे कौनसे स्टेंट लगवाने हैं। जहाँ तक गोरा बनाने की बात है तो मोदी जी का साक्षात उदाहरण सबके सामने हैं ।
और हमने अपने स्मार्ट फोन पर दो फ़ोटो तोताराम के सामने कर दिए। एक कोई तीस साल पहले का भाषण देते हुए और एक पिछले साल का इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ।
बोला- सच मास्टर, इसमें तो मोदी जी एकदम अंग्रेज लग रहे हैं। लेकिन यह मेलोनी की संगत का प्रभाव भी तो हो सकता है। बिहारी कहते हैं-
मेरी भाव बाधा हरो राधा नागरि सोय।
जा तन की झाईं परे स्याम हरित दुति होय॥ या
उनको देखे से आ जाती है मुँह पर रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है॥ या
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है मेरा तेरे आगे
हमने कहा- यश, पद, रुतबे, संगति और उल्लास का थोड़ा बहुत प्रभाव तो पड़ता है लेकिन इतना नहीं जितना मेलोनी के साथ वाले फ़ोटो में दिखाई दे रहा है। वास्तव में इलाज का भी असर हुआ तो है। क्या संसद, लाल किले और रोड शो में मोदी जी कुछ कम गोरे दिखाई देते हैं?
बोला- लेकिन मोदी जी तो जाने किन-किन बड़े लोगों से मिलते हैं। ऐसे में देश की छवि को ध्यान में रखते हुए ये सब खटकर्म करने पड़ते हैं लेकिन हमें इन नाटकों की क्या जरूरत है। यहाँ बरामदे में कौन देखने आता है?
हमने कहा- क्या पता कब ब्राह्मणों और रिटायर्ड लोगों के वोटों के चक्कर में मोदी जी द्रौपदी मुर्मू के साथ हमें भारतरत्न देने इस बरामदे में चले आयें तो क्या तू ऐसे काला कलूटा अच्छा लगेगा।
बोला- काले रंग में क्या बुराई है ? कृष्ण भी तो काले थे।
हमने कहा- लेकिन काले रंग की कुंठा तो हुआ करती ही थी तभी तो कृष्ण अपनी माँ से कहते रहते थे- जसुमति मैय्या से बोले नंदलाला, राधा क्यों गोरी, मैं क्यों काला?
हो सकता है उस युग में ऐसा ट्रीटमेंट उपलब्ध न रहा हो या जसुमति इलाज अफोर्ड नहीं कर पाती होगी या फिर मोदी जी की आयुष्मान भारत स्कीम न रही हो। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)