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सांभरझील। भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी के शिकंजे में फंस चुके कांग्रेस के चेयरमैन बालकिशन जांगिड़ के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति जारी होने से पहले ही बड़ा राजनीतिक गेम खेलते हुए उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। सांभर लोकल स्तर पर प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ से कुछ लोगों की सन्निकटता बालकिशन जांगिड़ अध्यक्ष के लिए संजीवनी का काम कर गई, बताया जा रहा है कि उनके खिलाफ बड़ा एक्शन ना हो इसके लिए उन्हें बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उच्च स्तरीय पदासीन लोगों की मौजूदगी में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की नवीन सदस्यता ग्रहण कराई बल्कि उन्हें कानूनी रूप से भय मुक्त होने का भी आशीर्वाद मिल गया।
आश्चर्यजनक घटनाक्रम के अनुरूप जो रोचक बात सामने निकल कर आई वह प्रमुख रूप से यह रही कि फुलेरा विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक विधायक रहे निर्मल कुमावत तक को भी इसकी भनक नहीं लग सकी, लोकल स्तर पर भी जिम्मेदार लोगों को भी उनके भाजपा में जॉइनिंग की जानकारी से दूर रखा गया। सोशल मीडिया के जरिए जब पूर्व विधायक निर्मल कुमावत व लोकल नेताओं को मालूम हुआ तो वह सकते में आ गए और समझ नहीं पाए कि यह कौन सी रणनीति कैसे और किसने चलाई। भ्रष्टाचार के मामले में करीब 2 महीने से अधिक समय तक जेल में रह चुके बालकिशन जांगिड़ के बैकग्राउंड की जानकारी ना तो मदन राठौड़ को उन लोगों ने बताई जिन्होंने उनकी जॉइनिंग कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
इधर इंडियन नेशनल कांग्रेस पूरी तरह से खुश है की चलो कांग्रेस पर से भ्रष्टाचार का लगा दाग अप्रत्यक्ष रूप से दूर हो गया और भाजपा अपने हिसाब से उन्हें क्लीन चिट दे अथवा गले लगाए अब वह पूरी तरह से इस मामले से अपने आप को भी बचा रहे हैं। खुले तौर पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी में आना लोकल नेताओं के गले की फांस बन चुका है। इसका विरोध करने के लिए पूर्व विधायक निर्मल कुमावत के निर्देश पर भाजपा पदाधिकारियों का एक शिस्टमंडल अलग से जयपुर गया और प्रदेश अध्यक्ष को इसकी जानकारी से अवगत कराया और बताया कि इससे भाजपा की छवि खराब होगी।
भाजपा पदाधिकारी को जब अवगत करवाया गया तो वह भी आश्चर्यचकित हो गए अब उनके भी समझ में नहीं आ रहा कि अब उन्हें भाजपा से बाहर का रास्ता वापस कैसे दिखाएं। बता दे की लंबे समय से कांग्रेस बोर्ड में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा था और कांग्रेस के विधायक खुद भी उनके भ्रष्टाचार पर भी चुप्पी साधे हुए थे और न ही किसी लोकल स्तर पर कांग्रेस पदाधिकारियों ने भी कभी कोई आवाज उठाई थी। अब देखना यह है कि क्या बीजेपी यहां के अध्यक्ष को वापस पार्टी से बाहर निकालेगी अथवा नया कोई घटनाक्रम होने तक इसका इंतजार करेगी। फिलहाल चर्चाओं का बाजार जबरदस्त गरम है और राजनीतिक गलियारों में भी फुसफुसाहट बढी हुई है।