प्रो. (डा.) सत्या जांगिड नारी अधिकारों के प्रति सतत प्रयत्नशील रहीं

10 अगस्त जन्मदिन पर विशेष 

लेखक : रमेश विश्वकर्मा

समाज सेवक, भोपाल मध्य प्रदेश, 9179407655 

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10 अगस्त को जिस बहुमुखी प्रतिभा का 86वां जन्मदिन है। उसका नाम है स्वर्गीया प्रोफेसर (डा.) सत्या जांगिड। वे नारी अधिकारों के प्रति सतत प्रयत्न करती रहीं। वह भारत की जानी मानी अर्थशास्त्री थी। 

उन्होंने 23 फरवरी 1975 को आकाशवाणी, नई दिल्ली के निमंत्रण पर देश को अन्तराष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय महिलाओं के स्थान पर चर्चा की। 23 फरवरी 1978 को विदेशों के लिए प्रसारण कार्यक्रम में 'भारतीय महिला के संस्कारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आकाशवाणी के नई दिल्ली केंद्र से पहली बार 26 जुलाई 1970 को नेपाली भाषा के श्रोताओं लिए वार्ता प्रसारित की थी। विषय था- "राजस्थान की लोक कथाएं"। उनकी चिंता का दायरा बड़ा था। 

01 मार्च 1979 को उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी बेगम समरू के योगदान पर प्रकाश डाला। 24 अप्रैल 1977 को भारत सरकार ने उन्हें घाटे की अर्थव्यवस्था पर बोलने के लिए बुलाया। 06 जुलाई 1977 को सबके लिए रोजगार की व्यवस्था पर विचार प्रकट करने के लिए उन्हें अाकाशवाणी नई दिल्ली ने बुलाया। 11 जून 1991 को उन्हें सरकारी उपक्रमों में पूंजी गठन में बदलाव के लिए सुझाव देने के लिए रेडियो ने बुलाया। 23 जून 1991 को उन्हें केंद्र सरकार के सामने मौजूद आर्थिक चुनौतियों की पह‌चान करने के लिए कहा। इस प्रकार उन्होंने लोक प्रसारक के रूप में यश प्राप्त किया। 

उन्होंने कुल 34 वर्ष तक अर्थशास्त्र पढ़ाया। 33 वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में और एक वर्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में। उन्होंने इस अवधि में न एक दिन की छुट्टी ली। न एक दिन कक्षा में देर से पहुंची। उन्होंने प्राध्यापिका के रूप में काशी में पढ़ाना शुरू किया और दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिन्दी कालेज की प्राचार्या तक पहुंची। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री सम्मेलन में वर्ष 1988 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे हिन्दी की प्रबल पक्षधर थी। उन्होंने अपनी छात्राओं को हिन्दी में अर्थशास्त्र सम्बंधी सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 1970 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री प्रो. जे.ई. मीड की पुस्तक का हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया।