नवीन जिलों के पुनर्गठन से सांभर को फिर बंधी जिले की आस

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। निवर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान ग्राम पंचायत दूदू को जिला बनाने के बाद सांभर जिले की दौड़ से लगभग बाहर ही हो गया था, लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के संज्ञान में मामला आने के बाद कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जिन नवीन जिलों का गठन किया गया था उनमें बहुत से प्रशासनिक एवं तकनीकी पेंच फंसे हुए हैं। इसी आधार पर यह भी माना जा रहा है कि इस मामले में उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने भी सरकार से इसके लिए नवीन जिलों के पुनर्गठन के संबंध में अपनी राय भी प्रकट की है। 

इसी आधार पर नवीन जिलों के पुनर्गठन के लिए गठित की गई कमेटी को इसके लिए विशेष तौर पर नियुक्त किए जाने के बाद सांभर उपखंड को स्वतंत्र रूप से जिला घोषित किए जाने की एक बार चर्चा को फिर से पंख लगे हैं। विगत कई दिनों से लोगों में भी यह अच्छा खासा चर्चा का विषय बना हुआ है कि दूदू जिला को सरकार 100 फीसदी कैंसिल कर सकती है और सांभर इसमें प्रमुखता से अपना स्थान ग्रहण करेगा। वर्ष 1952 से लगातार सांभर को जिला बनाने की चल रही मांग के बावजूद आज तक सांभर जिले से वंचित है। 

इसी संदर्भ में आज सांभर समाज जयपुर का एक प्रतिनिधिमंडल राजस्व जिलों के पुनर्गठन समिति के अध्यक्ष ललित के पंवार से मिला और सांभर को जिला बनाने के लिए तथ्यात्मक रूप से पक्ष प्रस्तुत किया। प्रतिनिधिमंडल में पीसी अग्रवाल, डा. सुरेन्द्र काला, सांभर समाज जयपुर के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, उपाध्यक्ष आरडी अग्रवाल, महासचिव पंकज कालानी, वरिष्ठ पदाधिकारी मनोज अग्रवाल और रमेश सांभरिया व कैलाश शर्मा ने जब मुलाकात की तो बताया कि उनका पूरा पक्ष सुना और अपनी तरफ से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया। 

उन्हें सांभर के पौराणिक, ऐतिहासिक, रियासत कालीन और ब्रिटिश कालीन परिदृश्य की जानकारी दी गई और आजादी से अब तक के हालातों के बारे में बताया, सभी ने सांभर को जिला बनाने की मांग रखी। भाजपा मंडल अध्यक्ष जितेंद्र डांगरा का कहना है कि हमारी सरकार की सोच हमेशा सकारात्मक रही है और सांभर के साथ जो पूर्ववर्ती सरकार ने सौतेला व्यवहार किया था निश्चित रूप से अब जो सरकार की कवायद चल रही है उससे निश्चित रूप से सांभर नवीन जिले की श्रेणी में आएगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।