अगर सरकार महिला सुरक्षा के प्रति जरा भी गंभीर है तो उसे सोशल मीडिया पर उपलब्ध अश्लील सामग्री पर कठोरता से रोक लगानी होगी। हर हाथ में मोबाइल है। बेहूदा मजाक घटिया स्तर के नाच गाने व अश्लील सामग्री से भरपूर सोशल मीडिया हर वक्त उपलब्ध है। बच्चे, किशोर, युवा दिनभर मोबाइल देखते हैं धीरे-धीरे यह इनकी आदत बन जाती है। इनके संवेदनशील मन में विकृति आ जाती है और वे दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देते है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)