फादर्स डे : सरिता अग्रवाल
लेखिका : सरिता अग्रवाल 

जयपुर, (राजस्थान)

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जान हथेली पे रखकर,  जो सरहदों पे लड़ आया

जिंदगी की हर जंग में, जिसे, सीना ताने खड़ा पाया । 

काली अंधेरी रातों में भी, अकेले, ना तम से घबराया,

ऐसे तपते सूरज को,  कौन दीपक दिखा रहा है? 

सर से उठा बचपन में ही, हाथ पिता का जिसके,

अपनी मेहनत के बूते पर अपने, पौधे जिसने सींचे,

एक मालिक के भरोसे पर, गुज़ारी है जिंदगी जिसने,

ऐसे कर्मयोगी को कौन, शास्त्र सीखा रहा है?