आन्ध्र प्रदेश की राजधानी अब अमरावती ही होगी

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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दक्षिण के राज्य आन्ध्र प्रदेश में हाल ही में हुए विधान सभा चुनावों के बाद जब पांच वर्ष बाद तेलगु देशम पार्टी जब फिर सत्ता में लौटी और चंद्रबाबू नायडू  एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने तभी यह सुनिश्चित हो गया कि अब राज्य की अमरावती ही होगी। सच्चाई तो यह है कि अफसर शाहों को चुनावों से  पहले ही यह आभास हो गया था कि तेलगु देशम पार्टी फिर सत्ता में आ रही है। इसलिए उन्होंने पहले ही उन फाईलों से धूल मिट्टी झाड़ना शुरू कर दिया था  जिसमें राज्य की राजधानी अमरावती बनाये जाने के दस्तावेज़ पड़े थे। राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण से जुड़े अधिकारियों ने आधी अधूरी बनी राजधानी अमरावती पहुँच कर ठेकेदारों को लगा लगभग पांच साल पहले आधे अधूरे बने भवनों में उग आई झाड़ियों को साफ करने का काम शुरू कर दिया। 

2019 जब जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर पार्टी सत्ता में आई तो अमरावती में सरकारी भवनों के निर्माण का काम लगभग आधे से अधिक  पूरा हो चुका था। सरकारी अफसरों और अन्य कर्मचारियों  के घरों का निर्माण तो 90 प्रतिशत तक पूरा हो चुका था। हाई कोर्ट भवन भी लगभग पूरा होने  को था। नईं राजधानी के कईं इलाकों में सड़कें तक बन चुकी थी। नई राजधानी बनाने के प्रथम चरण पर लगभग पचास हज़ार करोड़ रूपये खर्च होने थे। 2019   विधान सभा चुनावों तक इसमें से लगभग 15 हज़ार करोड़ रूपये खर्च हो चुके थे। निजी क्षेत्र में होटलों आदि के निर्माण के लिए कई हज़ार करोड़ की राशि का   निवेश हो चुका था। सरकार ने नई राजधानी के निर्माण के लिए किसानों की लगभग 34 हज़ार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। उनको बाज़ार भाव से  मुआवजा दिया गया था यहाँ निजी निवेशक 25000 से 30,000 रूपये प्रति गज जमीन खरीद रहे थे। 

पर 2019 के विधान सभा चुनावों के बाद सारा परिदृश्य ही बदल गया। 2014 से सत्ता में रही तेलगु देशम पार्टी चुनाव हार गई तथा वाईएसआर पार्टी सत्ता  में आ गई। पार्टी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पद सँभालने के बाद जो पहली घोषणा की उसमें यह कहा था कि सरकार प्रशासन का विकेंद्रीकरण करेगी। इसके लिए राज्य में एक नहीं बल्कि तीन राजधानियां होगी। विशाखापटन राज्य की प्रशासनिक राजधानी होगी  यानि सरकार का प्रशासन यहाँ से चलेगा। अमरावती विधायको की राजधनी होगी यानि यहाँ राज्य की विधानसभा होगी। राज्य का हाई कोर्ट कन्नूर में होगा  यानि यह शहर न्यायपालिका की राजधानी होगा। जल्दी ही उन्होंने विधान सभा में तीन राजधानियों का विधेयक पारित करवा लिया। अमरावती में सारा निर्माण कार्य रोक दिया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में राज्य हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन राजधानियों के विधेयक को ख़ारिज कर दिया। जगन मोहन रद्दी सरकार ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जहाँ इस पर सुनवाई लंबित है। 

जब 2014 में आन्ध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना बनाया गया तो यह तय हुआ कि हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी होगा। आन्ध्रप्रदेश को अपनी नई राजधानी बनाना होगा। इसकें लिए केंद्र आर्थिक सहायता देगा। अगले दस साल के भीतर आन्ध्र प्रदेश को अपने राजधानी का निर्माणपूरा कर लेना होगा।  तब तक हैदराबाद दोनों राज्यों की राजधानी रहेगा। दस साल की यह अवधि गत 2 जून को पूरी हो गई है। इस मामले में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि क्या फ़िलहाल हैदराबाद आंध्र प्रदेश की राजधानी बना रहेगा। इस मामले में केंद्र की अधिसूचना का इंतजार किया जा रहा है। हैदराबाद में आन्ध्र प्रदेश सरकार 50 भवनों से अपना प्रशासन चला रही है। 

तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने कहा है कि जब तक स्थिति साफ़ नहीं होती तब तक आन्ध्र प्रदेश सरकार अपना प्रशासन तो यहाँ से चला सकती है। लेकिन उन्हें उन अभी भवनों को किराया देना होगा जो उनके पास हैं। उधर आन्ध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र प्राधिकरण  पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। पुराने ठेकेदारों से सम्पर्क किया गया है ताकि पुनर्निमाण का काम बिना किसी विलम्ब के शुरू हो सके। इसी बीच इस बात का आंकलन किया जा रहा है कि इन पांच सालों राजधानी योजना की लागत कितनी बढ़ गई हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य अगले तीन साल में योजना को  पूरा करना है। इसी बीच इस इलाके में जमीनों की कीमतें फिर तेज से बढ़ना शुरू हो गई है। निजी क्षेत्र के निर्माण निवेशक यहाँ जमीन के मुहं बोले दाम देने की  पेशकश कर रहे है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)