नेता अपनी गरिमा बनाए रखें

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सारे राजनीतिक प्रबंधन व चुनाव आयोग के प्रतिबंध बावजूद भड़काऊ बयानबाजी को नहीं रोका जा सका अगर नेताओं को अच्छे बुरे का आभास हो जाए वह नेता स्वयं अपने अनुभव व नैतिकता से इस बात को समझे कि उनके भाषणबाजी से देश का राजनीतिक माहौल खराब हो रहा है। जातिवाद व धर्म के नाम पर लाठियां चल रही है। यह सब बंद हो सकता है या फिर ऐसे नेताओं को टिकट ही नहीं दिया जाए। लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौडगढ (राजस्थान)