आख़िर एक दिन : मातृ-पितृ दिवस

दिवस विशेष : 

लेखक : इंदुकांत आंगिरस 

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घर की बुनियाद होती है माँ,

फ़रिश्तों की फ़रियाद होती है माँ ,

माँ के बिना घर के चूल्हे नहीं जलते ,

माँ के बिना बग़िया के फूल नहीं खिलते ,

गोल गोल रोटी होती है माँ

खीर की कटोरी होती है माँ ,

बच्चों की ड्रेस, पति की रेस

बेटे का दुलार, बेटी का प्यार

कमीज़ का बटन, पसीने का बदन

आँगन का फूल, पूरे घर का पुल

दिलों  का तराना, दुआओं का ख़ज़ाना

आज खिली खिली है सरसों,

माँ के नंबर पूरे सौ, 

इक्कीसवीं सदी का बहुत बहुत शुक्रिया

'डेज' मनाने के बहाने

दुनिया ने 'मदर्स डे' मनाया  

चलो इसी बहाने आखिर 

एक दिन माँ का भी आया।