कर्नाटक के बदलते चुनावी मुद्दे
लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनैतिक विश्लेषक 

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चुनावों में कब कौन सा मुद्दा अचानक उभरेगा और छा जायेगा, इस  बारे कुछ नहीं कहा जा सकता। कई ऐसे मुद्दे अचानक उभर कर आ जाते है जो सारे चुनावी अभियान की दिशा ही बदल देते हैं  और चुनाव परिणामों को भी प्रभावित करते है। दक्षिण के कर्नाटक राज्य में लोकसभा चुनावों के लिए हुए  पहले  चरण के मतदान से एक हफ्ते पहले कुछ ऐसा घटा जिसने चुनाव की दिशा ही बदल दी। इस घटना ने मुख्य मुद्दों से हटकर राज्य की सभी सीटों पर चुनावी  हवा का रुख ही बदल दिया। 

राज्य में पिछले लोकसभा चुनावों के समय बीजेपी की सरकार थी। इसका काफी लाभ बीजेपी को चुनावों में मिला। पार्टी कुल 28 सीटों में से 26 पर जीत दर्ज करने में सफल रही। एक-एक सीट कांग्रेस और जनता दल (स) के खाते में गई। इस बार जब लोकसभा के चुनाव हो रहे है तो राज्य में कांग्रेस की सरकार  है . हालाँकि बीजेपी यह दावा करती आ रही थे कि इस बार भी उसे लगभग सारी सीटें मिलेंगी। जबकि जमीनी सच्चाई इससे कुछ अलग ही है। ज्यादातर चुनावी   सर्वेक्षण यह बता रहा रहे थे कि इस बार कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल बीजेपी  से आगे रहेगी। राज्य के बीजेपी नेताओं  का आंकलन भी कुछ अधिक उत्साहवर्धक  नहीं था। इसलिए वे चाहते थे कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अधिक से अधिक राज्य का दौरा करें ताकि बीजेपी मजबूत बनकर उभर सके। 

अचानक एक ऐसी घटना घटी जिससे बीजेपी नेताओं की बांछे खिल उठीं। राज्य की राजधानी से लगभग 150-200 किलोमीटर दूर हुब्बल्ली शहर में दिन  दहाड़े परीक्षा देकर निकल रही एक छात्रा की हत्या हो जाती है। छात्रा एक सम्पन और राजनीतिक परिवार की थी। उसकी हत्या करने वाला युवक मुस्लिम समुदाय का था। साम्प्रदायिक नजरिये से यह इलाका बड़ा संवेदनशील है। इसलिए इस हत्या ने जल्दी ही साम्प्रदायिक रंग ले लिया। घटना को  सामप्रदायिक  रंग किसी और ने नहीं बल्कि छात्रा के परिवार ने ही दिया। छात्रा का नाम था नेहा हिरेमठ। इसके पिता न केवल पार्षद है बल्कि शहर में कांग्रेस पार्टी के एक  कद्दावर नेता भी है। उन्होंने सार्वजानिक रूप से कहा कि यह एक लव जिहाद का मामला है। हत्या करने वाला मुस्लिम युवक फैयाज़ लडकी के साथ प्रेम में  था। वह न केवल उस पर शादी के दवाब बना रहा था बल्कि चाहता था कि वह मुस्लिम धर्म भी स्वीकार कर ले। इस मामले में  मुस्लिम समुदाय के  कुछ   युवा भी उसका साथ दे रहे। नेहा कुछ समय से उससे दूर रह रही थी जो उस मुस्लिम युवक को स्वीकार नहीं था। वह घटना के दिन हत्या करने के इरादे से   कॉलेज परिसर में आया। वह अपने साथ बड़ा चाकू लेकर आया था। ज्यों ही नेहा परीक्षा हाल से बाहर निकली उस  मुस्लिम युवक ने ताबड़ तोड़ 18 बार वार किया। नेहा की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई। 

हालांकि पुलिस ने फैयाज़ को गिरफ्तार करने में कोई कोताही नहीं की कि लेकिन जब तक वह पकडा गया तब तक सारी घटना साम्प्रदायिक रंग  चुकी थी। कारण नेहा के पिता निरंजन हिरेमठ खुल कर इसे लव जिहाद का मामला बता रहे थे। जल्दी ही हिन्दू संगठनो ने जलूस निकालने शुरू कर दिये। चुनावों की वयस्तता छोड़ बीजेपी नेता भी आन्दोलन में कूद पड़े। उनको पता था इससे पार्टी को सीधा लाभ मिलेगा। अगले ही देना राज्य के कई भागों यह एक बड़ा मुद्दा बन गया जिसे बीजेपी हवा देने में लगी थी। बीजेपी नेता हर चुनावी सभा में इस हत्या और लव जिहाद का जिक्र करने लगे। उनका आरोप था कि यह कांग्रेस पार्टी दवारा मुस्लिम समुदाय की तुष्टिकरण का ही नतीजा है। 

केवल इतना ही नहीं राज्य के चुनावी दौरे पर आये  बीजेपी के अध्यक्ष जे .पी. नड्डा छात्रा के पिता निरंजन हिरेमठ को मिलने उनके घर पहुंच गए। इस सारी घटना ने कांग्रेस पार्टी को  बैकफुट पर ला दिया। उन्होंने निरंजन हिरेमठ को समझाया कि वे इस घटना लव जिहाद का रूप नहीं दें लेकिन निरंजन हिरेमठ अपनी बात अड़े रहे। उन्होंने  उन चार मुस्लिम युवको के नाम पुलिस को बताये जो लव जिहाद का हिस्सा हैं और वे ही फैयाज़ को उकसा रहे थे। 

पुलिस ने अब तक इन चार युवकों  को ग्रिफ्तार नहीं किया है। महाराष्ट्र से सटा यह इलाका मराठी भाषी है तथा बीजेपी का बड़ा वोट बैंक है। इस बार यहाँ कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही थी। लेकिन इस घटना ने सारा का सारा चुनावी माहौल ही बदल दिया है। बीजेपी ने केवल इस इलाके में बल्कि राज्य के दूसरे हिस्सों में इससे चुनावी मुद्दा बनाने में लगी रही। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)