श्री राम गोपाल जैन अमेरिका और कनाडा में जाना पहचाना नाम : स्वाती जैन
लेखिका : स्वाती जैन

हैदराबाद

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प्रसिद्ध जैन स्कोलर श्री राम गोपाल जैन अमेरिका और कनाडा के जैनों में एक जाना पहचाना नाम है। हो भी क्यों न इन्होंने विदेश की धरती पर जैनत्व का परचम लहराकर जैन धर्म की महती प्रभावना की है और अपने शानदार उद्बोधनों से हजारों लोगों को जैन संस्कृति के प्रति आकृष्ट किया है।

 भारत के दिगम्बर जैनों की पहचान रहे निर्मल कुमार सेठी जी भी राम गोपाल जैन जी से बहुत प्रभावित थे और समय समय पर इनसे मार्गदर्शन प्राप्त करते थे। साथ ही अपने अमेरिका प्रवास के दौरान भी राम जैन जी के आवास पर ही ठहरते थे।

श्री निर्मल कुमार सेठी जी की संस्था भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा के अनेक वर्षों तक वाईस प्रेसिडेंट फॉरेन डिपार्टमेंट के वाईस प्रेसिडेंट रहे।

श्री राम गोपाल जैन जी के दोनों पुत्र USA के नागरिक है और इनको और इनकी पत्नी उषा जैन जी को भी USA की नागरिकता मिल गई है और OCI card लेकर दोनों अपने देश भारत २०२१ मैं आये थे और न्यू दिल्ली मैं रह रहे हैं।

श्री राम गोपाल जैन जी उम्र के आठ दशक पूरे कर चुके हैं और उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी पत्नी के साथ जैन दर्शन का गहराई से अध्ययन , मनन और चिंतन कर रहे हैं। 

आचार्य श्री विद्यानंद जी और आर्यिका शिरोमणि ज्ञानमती माताजी का इन पर आशीर्वाद हमेशा रहा।

राम गोपाल जैन जी पहली बार पूरे विश्व के जैन समुदाय के सामने तब चर्चा में आये थे जब इन्होंने 1995 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित JAINA CoNVENTION में पांच हजार लोगों की उपस्थिति में जैनिज्म विज्ञान है इस विषय पर प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी।

1997 के JAINA CONVENTION कनाडा के टोरंटो में लगभग दस हजार लोगों के सामने इन्होंने जैन धर्मानुसार शरीर ,आत्मा, जन्म और मृत्यु के भेद विज्ञान का सार बताया। इनकी उपलब्धियां यहीं खत्म नहीं होती। 19 मार्च 2021 के फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित सैंकंड इंटरनेशनल Zoom meeting कांफ्रेंस में भी इन्होंने आत्मा की चैतन्यता पर पेपर प्रस्तुत किया।

हाल ही में इन्हें 2550 वें भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव के लिए NRI कमेटी का वाइस चेयरमैन नियुक्त किया गया है ताकि ये विदेशों में बसे दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों संप्रदायों को एक करके भगवान महावीर के सिद्धांतों को सार्थक कर सकें। चारुकीर्ति भट्टारक जी मूडबद्री और जैन गौरव पद्म विभूषण आदरणीय श्री वीरेंद्र हेगड़े जी भी इनके जैनिज़्म के ज्ञान से बहुत प्रभावित हैं और दोनों के निमंत्रण पर मूडबद्री और बैंगलोर उनसे मिलने गये थे।

राम गोपाल जैन जी भारत से बाहर जैन संस्कृति के एक ऐसे पुरोधा हैं जिन्होंने अपनी विद्वत्ता से श्रमण संस्कृति की पहचान को बरकरार रखा है। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)