महिलाएं स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहे

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बचपन से ही लड़कियों को ये सिखाया जाता है कि तुम बड़ी होकर पराये घर जाओगी तो शादी के बाद पूरी गृहस्थी को सँभालना पड़ेगा। ये बात धीरे-धीरे उसके मन में घर कर जाती हैं। शादी के बाद वो पूरी ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी पूरी करती हैं और अपने स्वास्थ्य की प्रति लापरवाही करती है। सुबह के चाय, नाश्ते व खाने से लेकर रात तक वह व्यस्त रहती हैं। उसको घर के काम की इतनी चिंता रह्ती हैं कि वो आराम से बैठकर अपना नाश्ता भी नहीं कर सकती। ऐसे में अपनी रुचि ओर शौक भी भूल जाती है। अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसकी देख भाल में व्यस्त हो जाती हैं, लेकिन खुद बीमार होने पर काम में लगी रहती है। अगर परिवार के दूसरे सदस्य भी घरेलू कामों में मदद करे और उसके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे तो उसको आराम भी मिलेगा और अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुक होगी व अपने शौक व रुचि पर ध्यान देगी।  लेखिका : लता अग्रवाल (चित्तौड़गढ़) राजस्थान