भारत रत्न या राजनीतिक लॉलीपॉप : नवीन जैन
लेखक : नवीन जैन

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार, इंदौर (एमपी) 

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देश के संविधान के अनुसार जितने भी पद्म अलंकरण केंद्र सरकार देती है उसकी एक सूक्ष्म प्रक्रिया होती है। कहा तो यह भी जाता है कि इसीलिए केंद्र सरकार एक साल में सिर्फ तीन भारत रत्न की घोषणा कर सकती है। इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान की गरिमा इस बात में है, कि यह एक ही जुमले में कहे तो जन हितैषी कार्यों में लगी विभूतियों को प्रदान की जाते है लेकिन पिछले कुछ समय में एक के बाद एक पांच भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की है। इनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, बिहार के पिछड़े जन नेता कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर, पूर्व कांग्रेस प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव, पूर्व प्रधान मंत्री और किसान नेता चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन को प्रदान किए गए। 

इन्हें मिलाकर अब तक कुल 55 दिग्गजों को इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जा चुका है, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राजनीतिक फायदों के मद्देनजर भाजपा ने भारत रत्न का सबसे बड़ा राजनीतिक दांव खेला है क्योंकि भले राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कारण देश में एक बार फिर हिंदुत्व लहर उफान पर है फिर भी भाजपा को शायद लगता है कि इस बार का घोषित लक्ष्य आंकड़ा चार सौ तो क्या पिछले 2019 के चुनाव में प्राप्त 303 लोकसभा सीटों को भी मेंटेन नहीं कर पाएगी, इसीलिए जुमला मजाक में ही सही जुमला चल पड़ा है कि सम्मान के बहाने केंद्र सरकार लालीपोप बांट रही है।मजा यह है कि खुद प्रधानमंत्री इसकी अपने एक्स हैंडल या टेलीफोन से संबंधित व्यक्ति और देश दुनिया को खबर दे रहे है। 

जाहिर सी बात है कि इस मामले में भी पी एम नरेंद्र मोदी को ही सबसे आगे करने में भाजपा को कोई कोताही नहीं है।उसने मोदी को एक ब्रांड बना रखा है और शायद उसे यह नहीं लगता कि यह पार्टी अपनी विकास और प्रगति और सबके साथ के जाने पहचाने नारे के आधार पर तीसरी बार आराम से केंद्र की सत्ता में आ जाएगी।जान लेना उचित होगा कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से नवाजे जाने के कारण भाजपा से कहीं उसी की विचार धारा के नाराज लोग इस बार नरम पड़ सकते है और आडवाणी के बहाने भाजपा के लिए आसान होता चलेगा कि वह आडवाणी को भारत रत्न से नवाज कर इसका व्यापक राजनीतिक फायदा उठाए।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जन नेता कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर तो जिंदगी भर दो धोती कुर्ते में राजनीति करते रहे , हालांकि वे नाई समाज से आते थे पर उन्हें बिहार का एक बड़ा हिस्सा आज भी भगवान मानता है।वैसे ही जैसे महाराष्ट्र में लोग महाराजा  छत्रपति शिवाजी राव को ईश्वर मानते हैं।

बिहार में नाई को मिलाकर छत्तीस फीसद ओबीसी वोटर हैं।ये वोटर स्वभाव से शिफ्टिंग नेचर के रहे हैं लेकिन नीतिश कुमार को एन डी ए में शामिल करने के बाद कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा ने  ओबीसी वोटों को अपने कल्चेस में लेने की कोशिश की है।स्वर्गीय नरसिम्हा राव को देश में आर्थिक सुधार का मसीहा माना जाता है ,साथ ही कांग्रेस की सोनिया गांधी और राहुल गांधी से उनकी दूरियां लगातार बढ़ती गई ।तेलंगाना में 17 और आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें है।

नरसिन्हा राव का जन्म आंध्र में हुआ था और वे तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आठ भाषाओं के जानकर बनकर सी एम बने और फिर पी एम बने।जब देश कंगाली के मुहाने पर बैठा था और देश का कई टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड में गिरवी पड़ा था तब नरसिम्हा राव ने डाक्टर मनमोहन सिंह को विश्व बैंक से बुलाकर केंद्र में रातों रात वित्त मंत्री बना दिया था, जिससे देश एक महा आर्थिक संकट से बाहर निकला।

यदि राव साहब के कारण भाजपा को दक्षिण की कुल 42 सीटों पर लाभ मिल सकता है तो नीतीश कुमार और कर्पूरी ठाकुर के कारण बिहार की 40 सीटों पर वह अपना परचम लहरा सकती है।

चौधरी चरणसिंह मूलतः बागपत से चुनाव लड़ते थे। यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें है।कहा जा रहा है कि इन सीटों पर आज भी स्वर्गीय चरण सिंह का जादू चलता है क्योंकि वहां के किसान ने उन्हें आज भी अपना मसीहा मानते हैं और जाट समुदाय में भी उनकी दूर तक पकड़ है।इसीलिए भाजपा ने उनके पोते जयंत चौधरी से यूपी में गठबंधन का पत्ता फेंका है।डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन का जन्म चेन्नई में हुआ था।उन्होंने खेती किसानी के लिए कई नई किस्में और तकनीके विकसित की।जिसके कारण तमिलनाडु की 39 पंजाब की13 और हरियाणा की 10 सीटों पर भाजपा फायदे की स्थिति में रह सकती है।इस आधार पर कहा जा सकता है कि विकास,प्रगति और सबका साथ के नारे के सम्मान के साथ ही राजनीतिक लॉलीपॉप की नई संस्कृति विकसित की है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)