भारतीय स्टेनलैस स्टील बॉटल उद्योग का क्यूसीओ लागू करने की मांग

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जयपुर। ऑल इंडिया स्टील बॉटल्स एसोसिएशन ने वैक्युम- इन्सुलेटेड वॉटर बॉटल्स और पोर्टेबल स्टेनलैस स्टील वॉटर बॉटल्स के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स पेश करने में सरकार के सराहनीय कदम की सराहना की है। उद्योग जगत की चुनौतियों को देखते हुए यह कदम ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्म निर्भर भारत’ तथा ‘स्वस्थ भारत’ एवं स्थायी पर्यावरण लक्ष्यों के अनुरूप है। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से मुख्य रूप से एमएसएमई सेक्टर में 25,000 नई नौकरियां उत्पन्न होंगी, साथ ही महिलाओं को भी बड़ी संख्या में रोज़गार मिलेंगे। बीआईएस मानकों के अनुपालन एवं गुणवत्ता के लिए उद्योग जगत की प्रतिबद्धता के चलते भारत विश्वस्तरीय मंच पर मजबूती से स्थापित हो गया है और जल्द ही इस क्षेत्र में निर्यात बढ़ने का अनुमान है।  

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने विभिन्न उद्योगों में गुणवत्ता के सख्त मानक स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे विभिन्न सेक्टरों जैसे खिलौने, एसी, हेलमेट, फुटवियर एवं 387 अन्य सेक्टरों को लाभ होगा। इससे न सिर्फ उत्पाद की विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति के लिए आवश्यक सेक्टरों में इनोवेशन्स को भी बढ़ावा मिलेगा।

वेदांत पेडिया, डायरेक्टर, प्लासेरो इंटरनेशनल प्रा. लिमिटेड ने कहा, चीन से कम दरों पर अल्प गुणवत्ता के उत्पादों का आना एमएसएमई निर्माताओं के लिए गंभीर खतरा है। घरेलू बाज़ार में आयात रूकने की वजह से स्टेनलैस स्टील शीट के लिए कच्चे माल की लागत काफी बढ़ गई है, ऐसे में घरेलू निर्माताओं के लिए आयातित तैयार उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है। इंटरनेशनल स्तर पर स्टेनलैस स्टील के कच्चे माल की लागत कम हुई है, जबकि  कच्चे माल पर क्यूसीओ की वजह से घरेलू कीमतें बढ़ीं हैं। चुनौतियों के बाजवूद भारत के एमएसएमई ने घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 2007-2017 में सिर्फ एक वैक्यूम-इन्सुलेटेड निर्माता से लेकर प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में 5 सालों में 20 फैक्टरियों की स्थापना हुई है। हालांकि चीन से तुलना करें तो 10000 से अधिक फैक्टरियां 1 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार दे रही हैं, भारत के एमएसएमई आज भी इस पैमाने तक पहुंचने से काफी दूर हैं।

विकास जैन, डायरेक्टर, नैनोबोट हाउसवेयर्स सोल्युशन्स ने उद्योग जगत के विकास पर बात करते हुए कहा, वर्तमान में भारत की इंस्टॉल्ड क्षमता रु 800 करोड़ को पार कर चुकी है, और इसके 1000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। सहायक युनिट्स ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए काफी निवेश किया है। पिछले साल में तकरीबन रु 600 करोड़ का आयात दर्ज किया गया, जबकि घरेलू उत्पादन तकरीबीन 130 करोड़ का हुआ, भारत में कुल रु 730 करोड़ की खपत हुई। उद्योग जगत लगातार विकसित हो रहा है, ऐसे में हितधारकों से अनुरोध है कि स्टेनलैस स्टील वॉटर बॉटल्स के लिए बीआईएस क्यूसीओ के समय पर निष्पादन को सहयोग प्रदान करें।

राकेश जैन, डायरेक्टर एटलस मैटल प्रोसेसर्स प्रा. लिमिटेड ने कहा, बीआईएस क्यूसीओ उद्योग जगत में मानक स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न सिर्फ उच्च गुणवत्ता की स्टेनलैस स्टील बोतलों के उत्पादन को सुनिश्चित करेगी, बल्कि निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर अंतिम उपभोक्ताओं को लाभान्वित भी करेगी।