सांभर साल्ट के नाक तले रातों-रात खोदा जा रहा था अवैध बोरवेल
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। सांभर लवणीय झील में विगत कई सालों से आज भी गुपचुप बोरवेल कर नमकीन पानी की हो रही चोरी थमने का नाम नहीं ले रही है, बताया जा रहा है कि पहले यह है गुपचुप और लठ्ठ के बल पर होती थी लेकिन अब तो राजनीतिक संरक्षण और कथित साल्ट की मिली भगत व सांठ गांठ के चलते अंधाधुंध तरीके से जल दोहन हो रहा है, इसकी वजह से आसपास के सैकड़ो गांवों का भूजल स्तर अब खतरे के निशान से भी नीचे चला गया है, पीने का पानी इस योग्य नहीं है कि उसे उपयोग में लिया जा सके, बहुत कम होने से सिंचाई भी पर्याप्त नहीं हो पाती है।
अवैध बोरवेल और नमकीन पानी की चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने में भारत सरकार का उपक्रम सांभर साल्ट नाकाम साबित हो रहा है, या यूं कहें कि विभाग कन्नी काट रहा है ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में अथवा और कोई कारण है जो इस अवैध कार्रवाई को रोक पाने में असफल हो रहे है। झील कितने अवैध बोरवेल है इसकी जानकारी जब पूर्व विधायक की ओर से ली गई तो लिखित में खुद सांभर साल्ट्स ने माना था कि यहां पर 1300 से अधिक अवैध बोरवेल बने हुए हैं, लेकिन इनमें से कितने बंद हुए या चालू है इसकी कोई सूचना अभी तक सार्वजनिक तो नहीं हो सकी है लेकिन जानकारी में आया है कि न्यायालय के कई दफा आदेश के बाद कार्रवाई जरूर हुई थी, लेकिन पालना अक्षरशः नहीं हुई है।
ऐसा ही
एक मामला बीती रात को सांभर एरिया में अवैध बोरवेल करते प्रशासन ने पुलिस की मदद
से मौके पर जाकर पकड़ा। काजू इस बात का है कि तहसीलदार हरेंद्र मुंड को सूचना मिली
और वह थाना अधिकारी राजेंद्र कुमार यादव के साथ मौके पर पहुंच गए लेकिन सांभर
साल्ट के अधिकारियों को पता ही नहीं चला कि उनके एरिया में अवैध बोरवेल के लिए
रातों-रात खुदाई हो रही है। पुलिस ने बोरवेल कर रही मशीन को जप्त कर आगे की जांच
शुरू कर दी है। तहसीलदार हरेंद्र मूंड़ से बात करने पर बताया कि सांभर साल्ट को इस
मामले में सांभर थाने में रपट देनी चाहिए, हम तो हमारे स्तर से कार्रवाई करेंगे ही। इस मामले में
थानाधिकारी राजेंद्र कुमार यादव ने बताया कि मशीन संचालक और मालिक के खिलाफ
कार्रवाई किए जाने के लिए कानूनी कदम उठाए जाएंगे, सांभर साल्ट के अधिकारियों को भी इस बारे में जानकारी दी गई
है, इस मामले में कौन-कौन लिप्त है इसका भी
पता लगाया जाएगा।