सांभर में एडीएम का दफ्तर खुलवाना कांग्रेस और भाजपा के लिए चुनौती

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में से किसकी सरकार बनेगी यह तो पिटारा खुलने के बाद ही पता चल सकेगा। 3 दिसंबर को फुलेरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा-कांग्रेस में से किस पार्टी का प्रत्याशी यहां का सिरमौर बनेगा इसका भी पता चल जाएगा। फिलहाल परिणाम आने तक अटकलों का बाजार जबरदस्त गर्म है। सांभर उपखंड मुख्यालय पर अपर जिला कलेक्टर का दफ्तर खुलवाने में नाकाम रहे हैट्रिक विधायक निर्मल कुमावत चौथी दफा अपने जीत के प्रति आश्वस्त है, वही कांग्रेस प्रत्याशी विद्याधर चौधरी को भी विश्वास है कि इस बार जीत का सेहारा उनके सर पर ही बंधेगा। दोनों में से जो भी जीत कर आएगा उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती सांभर हैड क्वार्टर पर अपर जिला कलेक्टर का कार्यालय खुलवाने की होगी। 

सांभर को जिला बनाने के महापड़ाव से विधायक कुमावत द्वारा अपने आप को पूरी तरह से अलग रखना उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल माना जा रहा है, हालांकि बाद में उन्होंने यह जरूर कहा था की भाजपा की सरकार बनते ही 6 माह में सांभर-फुलेरा को जिला बनवा देंगे। यदि इस बार विधायक का ताज कांग्रेस को नसीब होता है तो फिर उनके लिए पहली चुनौती उपखंड मुख्यालय पर एडीएम ऑफिस खुलवाने की होगी, क्योंकि कांग्रेस सरकार के दौरान अभिभाषक संघ सांभर के पदाधिकारियों ने भाजपा के निर्मल कुमावत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याधर चौधरी दोनों से ही इस मामले में अनुरोध किया था, लेकिन कुमावत ने कांग्रेस सरकार मैं मेरी चलती नहीं है कह कर पल्ला झाड़ लिया था तो वही चौधरी की गहलोत से नाराजगी होना तथा सचिन और गहलोत के बीच राजनीतिक कटुता होने से यह मामला हल नहीं हो सका। 

सांभर एडवोकेट एसोसिएशन वर्ष 1983 से अपर जिला कलेक्टर का कार्यालय खुलवाने की निरंतर मांग क्षेत्रीय विधायकों और सरकारों से समय-समय पर भी करता रहा है, लेकिन विधायको की अनदेखी और लापरवाही के कारण यह मांग आज भी अधूरी है जो अब आने वाले विधायक के लिए हल करवाना चुनौती भरा ही साबित होगा या इसमें सफल होंगे यह भी अभी भविष्य पर ही निर्भर है। लोगों को कहना है कि विधायक सक्रिय होते तो दूदू नहीं सांभर जिला बनता और कांग्रेस के चौधरी सरकार पर दबाव बनाते तो यह सौगात सांभर की झोली में मिलती, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि न तो सांभर जिला बना और न ही एडीएम का दफ्तर खुल सका। फिलहाल क्षेत्र की जनता चुनाव परिणाम के इंतजार में है तो दोनों ही दलों के प्रत्याशियों की बेचैनी भी परिणाम आने तक बनी हुई है।