शून्य से शिखर की ओर अग्रसर मणिप्रभा प्रभा त्रिपाठी का सम्मान

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उज्जैन।  सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में नवाचार के लिए विपरीत परस्थितियों में एक अभिनव पहल करने वाली कैसी भी हालत हो उस पर विजय हासिल कर श्रीमति मनी प्रभा त्रिपाठी जो कि प्रधान अध्यापिका पद पर कार्यरत है। बेहतरीन शिक्षिका है जिन्होंने  अपने आप मैं एक मुकाम हासिल किया है दिन, सप्ताह, महीने और वर्ष व्यतीत होते जा रहे है और उनके कार्य में प्रतिदिन निखार आता जा रहा है लेकिन उम्र के इस पड़ाव मैं भी उनके अंदर उत्साह मैं कोई कमी नही वह अपना लक्ष्य निर्धारित कर लगातार आगे बढ़ते जा रही है। उनको अपने कार्य मैं कोई बहानेबाजी पसद करती नही अगले दिन पर करने के लिए  टाल-मटोल करती जिस दिन कार्य होता है उसी दिन करना पसंद करती हैं। तर्कवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, जन अधिकार,आत्मसम्मान तथा वंचितों के उत्थान के लिए आवाज़ उठाने वाले और आजीवन धार्मिक अंधविश्वास, पाखंड, का विरोध करने वाले  सामाजिक चिंतक के रूप मैं जानी जाति है।

मणि प्रभा त्रिपाठी, प्रधान पाठक पद पर माध्यमिक शाला सहसपुर में कार्यरत हैं। आपने अपने विद्यालय के सामने बंजर पड़ी भूमि को अपने स्वयं के खर्च और मेहनत से एक सुंदर पुष्प वाटिका में परिवर्तित कर दिया है यह स्कूल छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध हो गया है जिसे दूर दूर से लोग देखने हैं देखने आते हैं इसकी खासियत यह है कि यहां मैंने बच्चों के पीने के पानी के लिए शुद्ध पेयजल एक्वागार्ड सभी कक्षाओं में लर्निंग कॉर्नर और प्रिंट रिच वातावरण और विद्यालय के सामने पड़ी भूमि पर बहुत सुंदर पुष्प वाटिका जिस पर की सुंदर सुंदर फूल के साथ ही साथ जैविक फल और सब्जियां प्रचुर मात्रा में होती है प्रतिदिन मध्या्ह भोजन में बच्चों को जैविक सब्जियां और फल खाने को उपलब्ध होता है स्कूल में बालक शौचालय का निर्माण भी मैंने स्वयं अपने खर्च पर किया है स्कूल का आहता कंप्लीट नहीं हुआ है फिर भी तार का बाड़ी लगाकर यह सुंदर पुष्प वाटिका को सफलतापूर्वक बनाने में मेरा योगदान रहा है मुझे कई अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, विकासखंड स्तरीय, स्तरीय अनेकों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं मेरे विद्यालय का जो ऑफिस है वह पुरस्कारों से भरा हुआ है। 

साथी साथ जो गरीब बच्चे हैं उनको पढ़ाने में मेरा योगदान है जिसमें एक लड़का आज रायपुर एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ है और एक लड़का नायब तहसीलदार बन चुका है मैंने अपने धन से बच्चों को बढ़ाने में मदद की है। छत्तीसगढ़ भर में पर्यावरण संरक्षण समिति बनाकर आज तक लगभग 70,000 पर मैंने स्वयं लगा चुकी हूं और हमारे समिति का लक्ष्य है 1000000 पेड़ लगाने का उस दिशा में हमारा पूरा छत्तीसगढ़ के संकल्प पर्यावरण समिति प्रयासरत है संरक्षण और संवर्धन की ओर भी हम काम कर रहे है। मणिप्रभा एवं उनके पति  सुनील कुमार त्रिपाठी ने समाज कल्याण के लिए अपने विवाह पश्चात स्वयं के बाल बच्चे जन्म ना करके अनाथ बच्चों की माता पिता बने और उनको सहारा देकर पढ़ाया लिखाया योग्य बनाया किसी को संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ाया किसी का विवाह कराया किसीको पढ़ाया लिखाए योग्य बनाया यही उनके जीवन में सबसे अनुकरणीय कदम है। अपने वरिष्ठ अधिकारीयों के आदेश का अक्षरशः पालन करने में अग्रणी रहती है।

आपके हर क्षेत्र में अलग-अलग उल्लेखनीय कार्य के लिए गोपाल किरन समाजसेवी संस्था  द्वारा अलग फील्ड में सम्मानित किया जा चुका है। आपका सफर देहरादुन से प्रारंभ हुआ जो कि चित्तौड़गढ़, बोधगया, आगरा, कोलकता, बेंगलोर आदि मैं सम्मानित किया गया है। अभी उज्जैन मैं ग्लोबल आईकॉन एनवायरमेंट अवॉर्ड से इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अधिकारी,सामाजिक चिंतक  कैलाश चंद्र मीणा जी ने श्रीप्रकाश सिंह निमराजे की अध्यक्षता में उज्जैन में आयोजित कार्यकम मैं सम्मानित किया।