पांच दशक बाद भी पालिका सब्जी मंडी के हालात को नहीं सुधार पाई
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। स्थानीय गोला बाजार के निकट सांभर की एकमात्र सब्जी मंडी में आने वाले व्यापारियों, आढ़तियों और यहीं बैठकर फल और सब्जी का धंधा करने वाले फुटकर दुकानदारों को सब्जी मंडी में मिलने वाली जरूरी सुविधाएं आज भी कोसों दूर है। रोजाना लाखों रुपए का फल सब्जी का व्यापार करने वाली इस मंडी के माध्यम से नगर पालिका राजस्व की प्राप्ति भी करती है। कुछ कि यहां पर पालिका की ओर से दुकान किराए पर दे रखी है तो कुछ को मापदंड के अनुसार फुटपाथ पर बैठने की इजाजत है, इन सभी से किराया वसूला जाता है लेकिन जानकारी में यह भी आया है कि कुछ दुकानदारों की ओर से पालिका का आज तक किराया बकाया छोड़ रखा है।
करीब पांच दशक से सब्जी मंडी में पालिका प्रशासन की ओर से न तो उसकी बनावट में तब्दीली की गई है और न हीं यहां के स्वरूप को सुधरा गया है। सब्जी मंडी को टीन शेड से ऊपर से ढका हुआ है लेकिन इस टीन शेट में जगह-जगह से छेद हो गए हैं, बारिश का पानी आता है तो पूरी सब्जी मंडी में चारों ओर पानी भर जाता है, बारिश के पानी को निकालने के लिए पालिका प्रशासन की ओर से कोई हल नहीं ढूंढा गया है, बताया गया कि पुराने दुकानदार इस सब्जी मंडी की व्यवस्था से दुखी होकर अन्यत्र काम करने चले गए हैं। शाम को सब्जी मंडी बंद होने के बाद यहां पर किसी चौकीदार की भी नियुक्ति की हुई नहीं है।
गर्मी के मौसम में स्थिति में भी कोई सुधार नहीं आता है क्योंकि टीन शेड गर्मी में तपते रहते हैं और प्रशासन की ओर से इसके लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं ढूंढा जा रहा है। ऐसी स्थिति में आवारा पशुओं का जमघाट भी आने वाले लोगो व सब्जी बेचने वालों के लिए परेशानी का आज भी सबब बना हुआ है। फल व थोक व्यापारी सतीश चांदवानी ने बताया कि जो भी समस्या है सब्जी मंडी की उसको पालिका के स्तर पर दूर करना चाहिए ताकि यहां धंधा करने वाले लोगों को बारिश और गर्मी से निजात मिल सके।