तेलंगाना विधान सभा चुनावों में भ्रष्टचार बड़ा मुद्दा

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि लगभग एक दशक पूर्व आन्ध्र प्रदेश को विभाजित कर जब पृथक तेलंगाना प्रदेश बना तो इसका लगभग सारा श्रेय  तब की तेलंगाना राष्ट्र समिति तथा इस के एकछत्र  नेता, के. चंद्रशेखर राव को ही जाता है। उन्होंने इसको लेकर लम्बा संघर्ष कर यह प्रदेश बनाने में सफलता पाई। संसद में जब अलग तेलंगाना बनाने का कानून प्रस्ताव आया तो उस समय 2014 लोकसभा के चुनाव नज़दीक थे इसलिए लगभग सभी दलों ने इस प्रस्तावका समर्थन किया। उस समय अविभाजित विधान सभा की सदस्य संख्या के बल पर तेलंगाना राष्ट्र समिति सत्ता में आई और चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री बने। 

जब 201 के विधान सभा चुनाव आये तो इस पार्टी ने नया राज्य बनाने के श्रेय पर चुनाव लड़ा तेलंगाना राष्ट्र समिति, जो अब भारत राष्ट्र समिति बन गई है, की सरकार की लोकप्रियता का अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि इस पार्टी को कुल 119 सीटों में से  89 सीटें मिली। इस पार्टी के सामने कोई और पार्टी नहीं टिक सकी। चुनावों के बाद चंद्रशेखर राव ने यह दावा किया कि राज्य के गठन के बाद यह हुए विकास कार्यों के नाम पर ही उनकी पार्टी पार्टी दोबारा सत्ता में आई है। 

विधान सभा चुनावों की घोषणा से पहले और चुनाव प्रचार के दौरान चंद्रशेखर राव बार-बार कहते रहे है कि केवल और केवल विकास के मुद्दे पर ही चुनाव  होगा। उनका दावा है कि देश में उनकी पहली ऐसी सरकार है जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है. हालाँकि विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि राज्य में देश की यह सबसे अधिक भ्रष्ट सरकार है। पिछले साल अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने खुल कर इस पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाले  विधान सभा चुनावों में मतदाता इस सरकार को उखाड़ फैंकेगें। राज्य में चुनावों कुछ समय पहले राज्य में एक ऐसी दुर्घटना हुई जिसने सारे चुनाव अभियान का रुख ही बदल दिया है। 

तेलंगाना सरकार ने राज्य में कृषि के सिंचाई की सुविधायों का विस्तार करने के लिए कालेश्वर्म लिफ्ट इरीगेशन नाम की बड़ी महत्वपूर्ण परियोजना शुरू की थी। कुछ ही समय बाद इस योजना में  भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाने लगे। ऐसे आरोप लगाने में कांग्रेस के नेता सबसे आगे थे। बीजेपी के नेता भी इस योजना में बड़े घोटले के आरोप लगाने में पीछे नहीं थे। यह योजना के लाख करोड़ से भी अधिक की बताई जाती है। आरोप लगाया गया कि योजना का ठेका देने में पैसे का लेन दें हुआ है। इसमें सत्तारूढ़ दल का  बड़ा हिस्सा है। इस योजना के अंतर्गत  के एक बैराज का निर्माण कार्य चला आ रहा है। 

पिछले महीने के अंत में इस इस निर्माणाधीन बैराज के कई पिलर धंस गए। अपनी साख बचाने लिए सरकार ने सारी घटना की जाँच का काम नेशनल डैम सेफ्टी प्राधिकरण को सौंप दिया। प्राधिकरण ने एक सप्ताह के भीतर ही अपनी प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट सरकार को दे दी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि निर्माण कार्य में कई प्रकार की खामियां थी जिसके चलते निर्माण के दौरान ही बैराज के कई पिलर जमीन में धंस गए। इस रिपोर्ट के बाद चद्रशेखर सरकार पर विपक्ष के हमले शुरू हो गए। इसके साथ ही चुनाव  अभियान का सारा रुख ही बदल गया। 

राहुल गाँधी आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के मुखिया इस परियोजना का प्रयोग चुनाव के लिए धन जुटाने के लिए कर रहे है। वे इस योजना उपयोग पैसा निकालने वाली बैंको की एटीएम मशीन की तरह कर रहे है यानि जब चाहा कार्ड डाल कर पैसा निकाल लिया। राहुल गाँधी ने यहाँ तक कह डाला कि सत्तारूढ़ दल इस परियोजना से एक करोड़ लाख भी अधिक रूपये जुटाने में सफल रहा है। उधर चंद्रशेखर राव का कहना है  कि अभी इस परियोजना पर बहुत ही कम राशि खर्च हुई इसलिए ऐसे झूठे आरोप निर्गल है तथा जनता को इन पर विश्वास नहीं होगा। 

उनका कहना है कि  सेफ्टी प्राधिकरण ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में ही कहा की प्रारंभिक तौर पर कार्य आवंटन और निर्माण में कुछ अनियमिताएं पाई गयी है और सारी घटना की  गहन जाँच के बाद ही किसी अंतिम निष्कर्ष पर पंहुचा जा सकता है। इस घटना की अंतिम रिपोर्ट कब आयेगी और क्या निष्कर्ष निकलेगा यह तो अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है की इस दुर्घटना और इससे जुड़े मुद्दों का विधान सभा के चुनावों पर सीधा असर जरूर पड़ेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)