फुलेरा में भाजपा का धुआंधार प्रचार, कांग्रेस में टिकट का इंतजार

कांग्रेस को इस बार मिलेगा मौका या भाजपा लगाएगी जीत का चौका

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में जीत की हैट्रिक लगा चुके भाजपा के विधायक निर्मल कुमावत पर शीर्ष नेतृत्व ने फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें चौथी दफा टिकट का सबसे प्रबल दावेदार मानते हुए चुनावी मैदान में उतार दिया है। भाजपा उम्मीदवार ने फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में आज से चुनाव प्रचार का आगाज किया। इधर कांग्रेस आलाकमान का मन अभी तक अपना उम्मीदवार विधिवत रूप से तय नहीं कर पा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में बहुत कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि पिछले चुनाव में भाजपा से मामूली अंतर से पराजित हुए कांग्रेस के उम्मीदवार विद्याधर सिंह चौधरी को फिर से पार्टी अपना उम्मीदवार बना चुकी है, जिस पर अंतिम मुहर लगना बाकी है, कुछ का मानना है कि विवादों से बचने के लिए एनवक्त पर इसका ऐलान किया जा सकता है। 

इस धर्म संकट के चलते कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार माने जाने वाले उम्मीदवार अपने प्रचार में यद्यपि अंदरुनी रूप से तो लगे हुए हैं लेकिन तेजी नहीं ला पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अभी भी दिल्ली में कुछ महत्वाकांक्षी लोग टिकट की भागदौड़ी में अभी भी लगे हुए हैं। यदि हमेशा की तरह कांग्रेस में इस बार भी फूट, आपसी मतभेद और मनभेद फिर से उभरे तो स्थिति उम्मीदवार के लिए फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में कितनी आसान होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 

हालांकि इस बार भाजपा के लिए वर्चस्व की और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी होगा क्योंकि लगातार चार दफा हार का सामना कर चुकी कांग्रेस इस बार कोई गलती नहीं दोहराना चाहती है। पिछली दफा के मुकाबले इस बार अधिक रोचक और काफी हद तक दोनों ही दलों के उम्मीदवारों के लिए विधानसभा का चुनाव तनावपूर्ण भी हो सकता है। 

भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों का प्रचार नगर पालिका क्षेत्र से अधिक यहां की ग्राम पंचायतों में ही ज्यादा देखो मिलता है, क्योंकि गांवों में आज भी दोनों ही दलों के परंपरागत वोट माने जाते हैं जिसके लिए उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान बीच-बीच में जाकर मतदाताओं के मन भी टटोलते रहते हैं, कि कहीं कोई वोटों में सेंधमारी नहीं कर जाए। इसके अलावा सबसे प्रमुख कांग्रेस के लिए नगरपालिकाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार व धांधली के आरोप चुनौती तो जिले का मुद्दा भाजपा के लिए गलफांस बन सकता है। 

लोगों का यह भी कहना है कि दोनों ही पार्टियों ने सांभर के साथ दोगला और सौतेला व्यवहार किया है, जो किसी से छिपा नहीं है। फिलहाल विधानसभा क्षेत्र में कुमावत और जाट बाहुल्य मतदाताओं का रुझान इस बार किस दिशा में जाता है यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन यह बात पक्की है कि टक्कर इस बार दमदार तरीके से होगी और कांटे की टक्कर होगी। चुनाव परिणाम पर क्षेत्र के मतदाताओं की भी खास नजर होगी और वह देखना चाहेंगे कि बीजेपी जीत का चौका लगाएगी या क्षेत्र के मतदाता इस बार कांग्रेस को मौका देंगें।