कविता : मतलब

लेखक : तिलकराज सक्सेना 

जयपुर।

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जो नहीं समझते हो मतलब,

तो मत निकालो कोई मतलब,

तुम यूँही बेवज़ह बेमतलब,

मेरे अल्फाज़ों का,

बहुत गहरे राज़ छुपे हैं इनमें,

बहुत उदास हो जाते हैं ये,

जब तुम इनका कोई और ही,

निकाल लेते हो मतलब,

रहने दो, जाने दो, छोड़ दो इनको,

तन्हा इनके हाल पर,

कम से कम ये तो नहीं अखरेगा,

मेरे अल्फाज़ों को,

कोई निकाल रहा है, गलत मतलब,

जो नहीं समझते तो हो मतलब,

तो मत निकालो कोई मतलब।