सांभर जिला बनाओ संघर्ष समिति शीघ्र मुख्यमंत्री से मिलकर बताएगी हकीकत

आंदोलनकारियों ने सांभर-दूदू जिला के लिए रोड़े अटकाने का काम किया : संयोजक शर्मा

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सांभर फुलेरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के प्रमुख सलाहकार कुलदीप व्यास के निर्देशानुसार रविवार को पंचमुखी बालाजी स्थित एक धर्मशाला में नागरिक विकास समिति के सचिव अनिल कुमार गट्टानी के मार्गदर्शन में समिति के संयोजक विवेक शर्मा ने प्रेस कांफ्रेस कर सांभर-फुलेरा जिला बनाओ के संदर्भ में 25 जून को आंदोलनकारियों की ओर से मोखमपुरा महापड़ाव को लेकर निभाई गई नकारात्मक भूमिका पर सवाल खड़े किए, उन्होंने कहा कुछ लोगों की ओर से अपना वर्चस्व प्राप्त करने की खातिर आम जनता के हितों को पूरी तरह से कुचल कर नष्ट करने का काम किया है। दशकों से सांभर को जिला बनाने की मांग पर वर्तमान सरकार सकारात्मक फैसला लेने के लिए खड़ी थी लेकिन इस उग्र आंदोलन ने सरकार तक गलत मैसेज पहुंचा कर बने बनाए काम को बिगाड़ दिया। 

संयोजक शर्मा ने बताया कि समिति की ओर से इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष पुरजोर तरीके से जब हमने क्षेत्र के हित को ध्यान में रखते हुए प्रभावी और प्रमाणिक तरीके से पक्ष रखा तो उन्होंने उन्होंने कहा कि अब वर्तमान परिपेक्ष में सांभर फुलेरा को जिला बनाना तो संभव नहीं है लेकिन आमजन का मत हो तो दूदू के साथ सांभर को जोड़कर सांभर दूदू जिला बनाया जा सकता है। यहां तक की सांभर फुलेरा को दूदू में शामिल नहीं किया जाए इस पर भी मुख्यमंत्री की ओर से सहमती प्रदान कर दी गई थी। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि जब सांभर दूदू संयुक्त जिला बनने की प्रबल संभावना को दृष्टिगत रखते हुए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे तीन चार लोगों ने अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए मोखमपुरा महापड़ाव आंदोलन करने की घोषणा को बरकरार रखा। क्षेत्र की जनता को दिग्भ्रमित कर व युवाओं को बरगला कर आंदोलन करने पर उतारू रहे जिसका परिणाम यह हुआ की न तो सांभर फुलेरा जिला बन सका और सांभर दूदू जिले बनने का जो अवसर प्राप्त था उसे भी ठुकरा सांभर को गर्त में धकेल दिया। 

पूर्व चेयरमैन अवधेश कुमार पारीक, अभिभाषक संघ के पूर्व अध्यक्ष शेख शमीम उल हक, समिति के कोषाध्यक्ष सत्यनारायण गोयल व अन्य प्रबुद्धजनों की मौजूदगी में संयोजक शर्मा ने कहा कि सांभर जिला बनाने का हमारा आंदोलन पूरी तरह से गैर राजनीतिक है लेकिन यह बात यहां के कुछ बाहरी लोगों को हजम नहीं हुई और उन्होंने कूटनीति रचकर समिति की ओर से चलाई जा रही मुहिम का गलत दुष्प्रचार करते हुए हमारे सकारात्मक ढंग से चल रहे आंदोलन को गलत तरीके से हाईजैक करने की कोशिश की, लेकिन उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। 

क्षेत्र की जनता हमारे साथ खड़ी है। सांभर दूदू जिला बनता है तो ऐसे लोगों को समझ में नहीं आ रहा क्या तकलीफ हो रही है,  कुछ लोग खुद का उल्लू सीधा करने के लिए सांभर की जनता के साथ न्याय नहीं बल्कि अन्याय कर रहे हैं। अब हमारी ओर से दोबारा से प्रयास किया जाएगा कि जिला बनाने की जो मजबूत स्थिति हमने खड़ी की थी उसको वापस किस प्रकार से पटरी पर लाया जाए इस पर विचार किया जा रहा है। इस अवसर पर गट्टानी ने कहा कि समिति उन सभी का आदर और सम्मान करती है जो वर्ष 1952 के बाद से लगातार सांभर को जिला बनाने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और समय-समय पर वांछित योगदान भी दिया जिसमें प्रमुख रुप से वर्ष 2012 में अभिभाषक संघ की ओर से उठाई गई इस मुहिम को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। 

जिला बनाने के लिए संघर्ष कर रही समिति को अभी तक दिए गए हर प्रकार के योगदान के लिए हम उन तमाम लोगों का साधुवाद प्रकट करते हैं जिन्होंने इस पुनीत कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की अन्यथा हम सफलता की बुलंदी पर नहीं पहुंच सकते थे। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष अनिल गट्टानी, पार्षद गौतम सिंघानिया, पार्षद शकील खान, नेशनल यूथ अवॉर्डी पवन कुमार मोदी, खेड़ापति बालाजी समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार पारीक, कपिल सोनी, आरएसएस के मनीष सूंठवाल सहित अनेक  मौजूद गणमान्य लोगों ने सांभर दूदू को संयुक्त जिला बनाए जाने का समर्थन करते हुए समिति को अपना आंदोलन चालू रखने व मुख्यमंत्री के समक्ष इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाने का भी आह्वान किया।