सांभर-दूदू और सांभर-फुलेरा जिला के उलझन में फंसी सरकार
शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सांभर उप जिला को जिला घोषित करवाने के लिए वर्ष 1952 के बाद से वर्ष 2022 तक लगातार क्षेत्र के लोगों की ओर से किया गया संघर्ष इस वर्ष दो विचारधाराओं में बंट गया है। सांभर को जिला बनाने के लिए चलाई गई मुहिम धीरे-धीरे सांभर फुलेरा में कन्वर्ट हो गई, फिर इसके बाद विचारधाराओं की लड़ाई व कथित राजनीतिक वर्चस्व के चलते मुख्यमंत्री के समक्ष नई मांग के साथ सांभर-दूदू को संयुक्त रूप से जिला घोषित करवाने हेतु जैसे ही मामला पहुंचा उसके बाद सांभर फुलेरा और सांभर दूदू दो तरह के विचारधारा के लोगों का खुलकर अलग-अलग रूप में  संघर्ष शुरू हो गया और मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सत्ता व विपक्ष के विधायकों से मिलकर मांग को उठाने का  कंपिटीशन शुरू हो गया। 

जिले की मुहिम को उस वक्त और तेज हवा मिली जब खुद मुख्यमंत्री भी आगे आ गए और सांभर दूदू की मांग लेकर पहुंचे पदाधिकारियों से खुले तौर पर यह भी कह दिया कि आप सोच कर बता दें कि सांभर-दूदू को जिला बनाना है या सांभर को जयपुर में रखना है। उसके बाद सांभर फुलेरा को जिले का दर्जा देने के पक्षधर लोगों ने इसका विरोध करते हुए अपना अभियान नए स्वरूप में चालू किया तो वहीं सांभर दूदू जिला बने इसके लिए उन लोगों की ओर से एक नई रणनीति तैयार कर अपना अभियान जारी रखा हुआ है। 

यानी कुल मिलाकर  करीब छह दशक से भी अधिक समय से सांभर को जिला बनाने के लिए चल रहे अनवरत प्रयास को धत्ता बताते हुए अब सांभर दूदू और सांभर फुलेरा संयुक्त रुप से जिला बनाने की दो तरह की विचारधाराओं में बदल गई है। राजनीतिक दृष्टिकोण से इसे सीधे तौर पर देखा जाए तो सत्ता और विपक्ष का मिलाजुला जिले की मांग का दो तरह का आंदोलन  अब क्या गुल खिलाएगा यह तो मुख्यमंत्री के फैसले पर ही निर्भर है लेकिन इस बार जिले की मांग ने क्षेत्रवासियों के हृदय में व राजनीतिक विचारधारा से जुड़े लोगों में मनभेद और मतभेद तक उत्पन्न जरूर कर दिये है क्योंकि अब सांभर फुलेरा और सांभर दूदू जिला बनाना दोनों ही पक्षों के लिए एक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है लेकिन जिस प्रकार से मुख्यमंत्री की ओर से वक्तव्य जारी किया गया उसके बाद से सांभर दूदू के कयास तेजी से लगाए जा रहे हैं वही सांभर फुलेरा की मांग कर रहे लोगों को उम्मीद है कि प्रदेश के मुखिया मांग उनकी ही मानेंगे। 

यह बता दें कि सत्ता पक्ष में गहलोत से तालमेल नहीं बिठा पा रहे सचिन पायलट गुट से फुलेरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक पद के उम्मीदवार रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता  की पकड़ है, वही विपक्ष में बैठे विधायक पहले सांभर दूदू को जिला बनाने के पक्ष में खड़े थे अब सांभर फुलेरा के पक्ष में होकर अपनी पार्टी के विधायकों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। ऐसे में क्षेत्र की जनता भी भ्रमित हो रही है कि आखिर इसका परिणाम कब और किस नतीजे पर पहुंचेगा, लंबे समय से क्षेत्र के हित में फैसले के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं।