थोड़ी हंसी की दवा दे उन्हें भी... डॉ सुधा जगदीश गुप्त

कविता 

लेखिका : डॉ सुधा जगदीश गुप्त 

कटनी मध्य प्रदेश 

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मुस्कुराने की कोई वजह ढूंढ लें हम

हमें ढूंढ ले वो उन्हें ढूंढते हम...।  


मुकद्दर में जिनके हैं मेहनत मजूरी

थोड़ी हंसी की दवा दें उन्हें हम...।


पूजा रचा धर्म ग्रंथों की बातें करें 

आचमन कुछ दिलों में धरे हम...।


 मगरुर मशहूर मद में है जो चूर

रहमो करम की हवा दें उन्हें हम...।


धूल में है नहाते वो मासूम देखो 

हीरा वतन के संभाले उन्हें हम...।


करते हैं अपने ही मन की वे बातें

सुनाएंगे अपनी सदाएं उन्हें हम...।


रूठे हैं जाकर बैठे कहीं वो

घूंट प्यार की दें मनाए उन्हें हम...।


बैठे हैं प्यासे प्रीतम नदी तट

घटा बन मिलन की सरसें उन्हें हम...।