ताकत अशोक गहलोत की : डा.सत्यनारायण सिंह

3 मई जन्म दिवस पर विशेष

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राजस्थान के अशोक गहलोत में विद्यार्थी जीवन से ही नेतृत्व की अद्भुत क्षमता रही। विश्वविद्यालय छात्रसंघ के विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए युवाओं का सफल नेतृत्व किया। काँग्रेस के विद्यार्थी संगठन (एनएसयूआई) के अध्यक्ष के रूप में 1974 से 1979 तक कार्य करते हुए बंगला देश के शिविरों में सेवा की। सफल नेतृत्वगुण के कारण राजनीति की प्रत्येक सीढ़ी पर सफलतापूर्वक चढ़ते गये और केन्द्रीय मंत्री, काँगेस प्रदेशाध्यक्ष व महामंत्री संगठन एवं मुख्यमंत्री राजस्थान के पदों पर कार्य करते हुए लोकप्रियता प्राप्त करते रहे।

जोधपुर के चहुंमुखी विकास के लिए कार्य किया। आम जनता में उज्जवल छवि, जातीय व साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए आप द्वारा उठाये गये सराहनीय कदम, क्षेत्र के विकास की ललक तथा नेतृत्व की उद्भुत क्षमता के कारण नौंवी लोकसभा को छोड़कर बारहवी लोकसभा तक निरन्तर जोधपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने जाते रहे। लोकप्रियता तथा बेदाग छवि का परिणाम था कि आपको केन्द्रीय मंत्रीमंडल में स्थान मिला। श्रीमती इन्द्रा गाँधी , नरसिंहाराव व राजीव गाँधी के कार्यकाल में केन्द्रीय मंत्रीमंडल में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के खेल विभाग तथा कपड़ा मंत्रालय को सुशोभित किया। 

राजस्थान सरकार में आपको षिवचरण माथुर मंत्रीमण्डल में गृह तथा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री का गुरूत्तर दायित्व सौंपा गया जिसका आपने पूर्ण योग्यता, निष्ठा, निष्पक्षता तथा ईमानदारी से निर्वाह किया। प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल में काँग्रेस दल की सदस्यता में भारी वृद्धि हुई तथा कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों में दल के प्रति समर्पित भावना एवं उत्साह से कार्य करने की होड सी दिखाई देने लगी। यही नहीं इस अवधि में चुनावों में कॉँग्रेस को अद्वितीय सफलताएं मिली। कांग्रेस के सच्चे सिपाही व नेता के रूप में आपके कार्यकाल को अविस्मरणीय उपलब्धियों का काल कहा जाता है। 

राज्य एवं केन्द्र सरकार में मंत्री पद पर सफलतापूर्वक कार्य करने के पश्चात आपकी राजनीतिक लोकप्रियता में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई। दिसम्बर 1998 में संपन्न 11वीं विधानसभा के चुनावों में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया। गहलोत सरकार ने अकाल की विभीषिका से निपटने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई। अकाल से प्रभावित लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। पशुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था कर उनके पलायन को रोका। किसी भी व्यक्ति या पशु को भूख से नहीं मरने दिया गया। गहलोत सरकार की सर्वत्र प्रशंसा हुई। राजधानी के मुख्य बाजारों से बरामदे खाली कराये व नगरीय विकास योजनाऐं प्रारम्भ की। पार्टी मैनीफेस्टो को मान्यता देकर शासन चलाया।

दूसरी बार 13 दिसम्बर 2008 को जब अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो प्रदेश में उत्साह व हर्ष का वातावरण बना। दुबारा मुख्यमंत्री बनने के साथ ही अशोक गहलोत के जीवन के चुनौती एवं उत्तरदायित्वपूर्ण अध्याय का शुभारम्भ हुआ। आपने प्रत्येक चुनौती को अत्यंत ही धैर्य एवं गंभीरता से लिया। 

निरन्तर दैवीय आपदाओं का सामना करने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद निश्चय ही कांटों का ताज रहा है परन्तु अपनी दूरदृष्टि, सूझबूझ एवं दृढ़ संकल्प के साथ आपने राजस्थान को स्वच्छ, निष्पक्ष, पारदर्शी, सौहार्दपूर्ण एवं विकासशील प्रशासन प्रदान किया। वायदों के अनुसार योजनाएं बनी और क्रियान्वित र्हुइं, सुखद तथा संतोषजनक परिणाम सामने आये।

अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार ने राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए सर्व शिक्षा, चिकित्सा सुविधा, सूचना का अधिकार, सड़क व अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्य, असहाय व वृद्धावस्था पेंशन, वन सम्पदा संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, भ्रष्टाचार उन्मूलन, विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भरता, नागरिक अधिकारों की सुरक्षा, महिला उत्पीडन व अत्याचार से मुक्ति, बालिका शिक्षा, पशुधन संरक्षण, कृषि सुविधाओं के विस्तार, नगरीय विकास क्षेत्र में सतत एवं अथक प्रयत्न किये। 

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने शिक्षा व स्वास्थ्य पर जोर दिया। निरोगी राजस्थान योजना के अन्तर्गत उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार किया। सभी जिलों में मेडीकल कॉलेज स्थापित किये। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए उन्होंने जिस प्रकार अपनी कार्य कुशलता, संवेदनशीलता, प्रबंधकीय प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया है उसकी स्वयं प्रधानमंत्री ने सराहना की है।

किसानों की ऋण माफी, बेरोजगारी भत्ते के साथ इन्द्रा रसोई योजना, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, उपभेक्ताओं को व किसानों को मुफ्त कृषि जिन्सों का बेहतर विपणन, निराश्रित व असहाय परिवारों को सहायता, सामाजिक सुरक्षा व वृद्धजन सम्मान समारोह, नगरीय क्षेत्रों में रोजगार गारन्टी, विशेष योग्यजनों को सहायता व आरक्षण, आर्थिक रूप से कमजोर योग्यजनों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण, नगरीय विकास योजनाऐं व प्रशासन शहरों की ओर में पट्टों का वितरण आदि कार्यक्रमों ने गहलोत के गाँधीवादी विचारों की प्रत्यक्ष क्रियान्विति दिखाई दी।

महात्मा गाँधी के सिद्धान्तों से प्रेरित होकर गहलोत ने गरीब व आम आदमी के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य को आमजन के अधिकार के रूप में स्वीकार किया। अस्पताल जाइये स्वस्थ होकर आईये, इन्डोर, आउट डोर सभी मुफ्त, माँ व ममता को सरकारी आँचल, बुजुर्गों  को घर बैठे पेंशन, सस्ती बिजली, बिन व्याज फसली ऋण, 40 लाख से अधिक गरीब परिवारेां को एक रूपया किलो की दर से प्रतिमाह प्रति परिवार 25 किलों गैंहू, कौषल प्रशिक्षण, लैपटाप व टेबलेट का, नेपकिनों, स्कूटियों का मुफ्त वितरण राजस्थान में सिलिकोसिस नीति 2019 द्वारा इलाज व पुनर्वास, पेंशन, सौर ऊर्जा नीति 2019, युवाओं को सरकारी नौकरिया, बेरोजगारों को डेयरी बूथ आवंटन, राजस्थान स्टेट गेम्स का आयोजन, पदक विजेता खिलाड़ियों को नौकरियां, वृहद पेयजल योजनाए, अंँग्रेजी माध्यम महात्मा गाँंधी विद्यालय, 90 राजकीय महाविद्यालय, शहीद परिवारेां की देखभाल व सहायता ने स्पष्ट कर दिया कि गहलोत की सरकार आमजन की पारदर्शी, जबाव देह, संवेदनशील व प्रगतिषील सरकार है। 

राजस्थान के सर्वमान्य नेता के रूप में रात दिन मेहनत कर जनता के प्रत्येक वर्ग के दिल में स्थान बनाया। सादगी, आमजन से सम्पर्क, स्पष्ट विचार, बेदाग छवि, सर्वत्र जन कल्याण की भावना उनकी ताकत है और देष के प्रमुख राजनेताओं में गिनती है। उनका कथन है, नारा है, ’’सेवा ही कर्म, सेवा ही धर्म ’’। 

आपके सफल एवं संघर्षपूर्ण राजनैतिक जीवन, सरल सादा जीवन व्यक्तिगत प्रभाव, सही वक्त पर सही फैसले करने की नीति, अद्भुत नेतृत्व क्षमता, बेदाग छवि, दूरदर्शिता के आधार पर पर राज्य के विकास के लिए उठाये गये कदम, सतत सक्रिय, संवेदनशील, जबाबदेह व निष्पक्ष राजनीति की देशभर में प्रशंसा हुई है। कोई राजनैतिक विरोधी भी आपके उज्जवलतम दामन पर आज तक किसी प्रकार का दाग नहीं लगा सका। 

अप्रितम व्यक्तित्व के धनी, धैर्य के पारावार, उज्जवलता के प्रतीक, शांति व समृद्धि के अग्रदूत, धुन के पक्के, मारवाड के सपूत अशोक गहलोत का व्यक्तिगत एवं राजनैतिक भविष्य सर्वतोप्रकारेण उज्जवलतम है। अशोक गहलोत सदैव काँग्रेस व गाँधी परिवार के प्रति बफादार रहे हैं, यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी व ताकत है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

लेखक : डा.सत्यनारायण सिंह

लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं