आदमी और जानवर : लघु कथा

 लघु कथा 

लेखिका : डॉ सुधा जगदीश गुप्त 

कटनी मध्य प्रदेश 

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सड़क दुर्घटना में युवक का शरीर दो टुकड़े होकर दूर-दूर छिटक गया। उसकी कमर के नीचे वाला हिस्सा अलग तड़प रहा था और धड़ वाला हिस्सा अलग फड़फड़ा रहा था। खून के फव्वारे छूट कर सड़क पर बह रहे थे...। इस पर भी उसका मस्तिष्क सक्रिय था। वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था, उसके हाथ इशारा कर रहे थे -"कोई मेरे पास आओ मेरी बात सुनो मेरे पास वक्त कम है"। किंतु सारे लोग इस आश्चर्यजनक घटना को अपने-अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहते थे। किसी के पास वक्त और संवेदना नहीं थी कि यदि उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया जाए तो शायद वह बच जाए। तभी एक बंदर पेड़ से कूदकर आया और आक्रोशित होकर भीड़ को डपटने लगा...। वह युवक के दोनों हिस्सों को घसीट कर जोड़ने का प्रयास करने लगा, युवक के सिर पर हाथ फेरते हुए। 

युवक अभी भी कह रहा था- "कोई मेरी बात सुनो मैं अपने सभी अंग किसी जरूरतमंद को दान करना चाहता हूं"। बंदर भीड़ को डपटते हुए अपना सिर खुजलाने लगा। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)