राजस्थान में पर्यटन संवर्धन का विशेष महत्व

लेखक : डॉ. सत्यनारायण सिंह 

लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी एवं पूर्व निदेशक सूचना व जनसम्पर्क हैं 

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1975 में विश्व पर्यटक संगठन की स्थापना के बाद वर्तमान में पर्यटन एक मुख्य व्यवसाय और विदेशी पूंजी व आय प्राप्त करने का स्त्रोत बन गया। रोजगार क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो गया। हमारी समृद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विरासत प्रमुख आकर्षण है। वर्ल्ड टयूरिज्म एंड ट्रेड कौसिल ने पर्यटन को भारत के आर्थिक विकास के योगदान में महत्वपूर्ण बताया है। पूंजी निवेश व प्राथमिकताओं के क्षेत्र में प्रभावी व उच्चस्तर प्रदान देने की अंनुशंसा की है। पर्यटन देश की 9.2 प्रतिशत जीडीपी-सकल घरेलू उत्पाद में योगदान तथा 2.67 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है। 

देश को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिलती है। एशिया महाद्विप के अन्य देश चीन, थाईलैण्ड, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर के मुकाबले हमारे देश में आने वालें पर्यटकों की संख्या कहीं कम है। जबकी उन देशों के पर्यटन स्थल ”मैनमेड“ है। जहां तक विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाओं का सवाल है, पूरें भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों का एक जैसा हाल है। चीन में जहां 1 डालर खर्च होता है भारत में ढ़ाई डालर खर्च होता है। अनेक टैक्स पर्यटक को चुकाने पड़ते है। ट्रेन, वायुयान, बस से उतरते ही उसके जेब की जितनी बेरहमी से कटाई शुरू होती हैं। पर्यटन व्यवसाय से आर्थिक विकास के लिए अर्जित साधन जुटाने की अपूर्व सम्भावना है, विदेशी मुद्रा का केवल 7 प्रतिशत पर्यटन व्यवसाय पर खर्च होता है, 93 प्रतिशत विदेशी मुद्रा अर्न्तराष्ट्रीय घाटे को पूरा करता है। पर्यटन श्रम प्रधान उद्योग है। देश की एकता, सामाजिक, सांस्कृतिक आकर्षक समस्याओं को निराकरण के लिए महत्वपूर्ण निर्यात उद्योग है। रोजगार निर्माण में वृद्धि व परिवहन का भी विकास होता है। भारत प्राचीन सभ्यताओं का केन्द्र है जिसने कई धर्मों, साम्राज्यों के उत्थान पतन देखा है। यह उथल पुथल अवशेष सुन्दर मैदान, पहाड़, तरह-तरह के रीति रिवाज है। प्राकृतिक संसाधनों के अलावा सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्थल, वन्यजीव देखने मेलों और उत्सवों में भाग लेने आते है। व्यापारिक गतिविधियां बढ़ी है।

राजस्थान देश का प्रमुख पर्यटक राज्य है। राजस्थान में पर्यटन की असीम संभावनायें है। देश में आने वाला हर चौथा पर्यटक राजस्थान आता है। राजस्थान में वर्ष 2019 में 1754348 विदेशी व 52220431 देशी पर्यटक आयें। राजस्थान की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विरासत इतनी विविधतापूर्ण एवं समृद्ध है। राजस्थान में लगभग 223 स्मारक है। जिन्हें राजस्थान स्मारक, पुरावशेष स्थान तथ प्राचीन वस्तु अधिनियम के तहत संरक्षित है। स्मारकों में किले, हवेलिया, गढ़, मंदिर, छतरिया व बावडियों, दरगाहें, एवं संरचना है, जिनका पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व है। राज्य में कुल 21 संग्रहालय है जिनमें 28 हजार से अधिक पुराकला सामग्री संरक्षित है, इनमें मुख्य रूप से पाषाण प्रतिमायें, अस्त्र-शस्त्र एवं सिक्के आदि प्रमुख है। प्रदेश में प्राकृतिक सौर्न्दय व मनोरंजन के भी पर्यटन सम्बन्धी साधन हैं। जिसको सुरक्षित रखने, संरक्षण करने व उच्चस्तर प्रबंधन की आवश्यकता है। पर्यटन से शहरों में ही नहीं गांवों में भी रोजगार के अवसर बढ़ते है। ग्रामीण कास्तकारों व हस्तशिल्पियों को आमदनी बढ़ती है। व्यापार व्यवसाय पनपता हैं पर्यटकों में विदेशियों से कई गुना संख्या देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले देशी पर्यटकों की है। 

केन्द्रीय सरकार ने राजस्थान को प्राथमिकता की सूची में नहीं रखा। देश के छ विशेष पर्यटन विकसित करनेे के स्थानों में नहीं जोड़ा एवं समेंकित विकास की योजनायें नहीं बनाई। राजस्थान सरकार को विदेशी एवं देशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए ऐसी योजना बनानी होगी जो सैलानियों के आकर्षक स्तर के अनुकूल हों व आकर्षक प्रतीत हों। राज्य में पर्यटन को कई रूपों में विशिष्टता के साथ विकसित करने की कोशिश की आवश्यकता है जिसमें सांस्कृतिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, खेल पर्यटन जैसी कई श्रेणीयां हो। 

राजस्थान में पर्यटन विभाग के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राजस्थान पर्यटन विकास निगम व राजस्थान राज्य होटल, राज्य मेला अधिकरण, पर्यटन यात्रा प्रबन्ध संस्थान कार्यरत है। प्रमुख महानगरों में पर्यटक स्वागत व सूचना केन्द्र है। पर्यटन स्थलों पर पर्यटक सूचना केन्द्र संचालित है विभाग पर्यटक स्थलों का विकास, मेले-त्यौहार व सांस्कृतिक कार्य योजना कर रहा है। पर्यटन विभाग भारत सरकार के सहयोग से स्वदेश योजना के तहत हैरीटेज सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, कृष्णा सर्किट, पुष्कर अजमेर, सांभर के समग्र विकास हेतु कार्यरत है। इसके अतिरिक्त ट्राईबल इको, डैजर्ट व चाइल्ड लाइफ सर्किट हेतु एवं प्रयत्नशील है। ग्रामीण पर्यटन विकास कार्यो के साथ, ऐतिहासिक इमारतों पर रोशनी पर्यटन प्रचार प्रसार व विस्तार तथा पर्यटन क्षेत्र में मानव संसाधन विकास के महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित किये जा रहे है। 

पर्यटकों को दुबारा देश-प्रदेश में लाने की इच्छा पैदा करने में आ रही कठिनाइयों में असुरक्षता की भावना, अज्ञानता व अनुचित लाभ, गाइडों का असन्तोषजनक व्यवहार, दलाली कमीशन, आवास व आवश्यक भोजन का अभाव, अपर्याप्त परिवहन सुविधायें व लागत, डपकूंल से विश्राम व भोजन का निम्नस्तर, नौकरशाही व विलम्ब, रैस्ट्रा व कैफेटेरिरिया की कमी, चिकित्सक सेवाओं, विदेशी मुद्रा का लेन-देन, बीमा सुविधाओं की कमियां, गाइड, व्यापारी, लपका, टैक्सी वाले, होटल व्यवसायियों, धोखाधड़ी, पर्यटन स्थलों पर भिखारियों, भूखे नन्हें बच्चों व महिलाओं की उपस्थिति भी पर्यटकों के लिए दुःखद है। 

भारत में आने वाले पर्यटकों में लगभग 20 प्रतिशत पर्यटक राजस्थान आते है। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के लिए राज्य सरकार को पर्यटन के विकास के लिए मिशन बनाकर कार्य करना होगा। निजी क्षेत्र की भागीदारी, पर्यटन साहित्य का वितरण, होटलों, मोटल, पेंइग गैस्ट, हरिटेज होटल को बढ़ाकर पर्यटकों को आकर्षित करना होगा। विदेशों में भारत महोत्सवों का आयोजन की अति आवश्यकता है। विदेशों में लगने वाली प्रर्दशनियों, मेलों कान्फ्रेन्सों में भी सक्षम प्रतिनिधित्व व भागीदारी आवश्यक है। आकर्षक साहित्य, लोकगीत, प्रदर्शिनियों व मेलों के आयोजन से पर्यटकों आकर्षित किया जा सकता है। वर्तमान समय में प्रचलित डिजिटल प्लेटफार्म पर समुचित प्रचार प्रसार की आवश्यकता है, जिससे डपससपवदपंसे के मानस पटल पर राज्य अब पर्यटन के रूप में पहली पसंद बन सकें। निजी क्षेत्र की भागेदारी बढ़ाने के लिए अनेक रियायतें व सुविधायें आवश्यक है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी होटलों आदि को राज्य सरकार द्वारा विशेष छूट दिये जाने की आवश्यकता है। विभिन्न टैक्सों में छूट, गृह कर व शहरी में भूमि करों में रियायत, पानी व बिजली की दरों, में कटौती, प्रमुख गन्तव्यों के लिए वायुमार्ग के साथ रेल व सड़क सम्पर्क में सुधार एवं आबकारी नीति में बदलाव आवश्यक है। सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाव भी पर्यटन प्रबन्धन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है जो विरासत को खोखला नहीं कर दें। विभाग इस भी और भी सचेत है। 

कोविड-19 का सबसे ज्यादा विपरीत प्रभाव पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। भारत सरकार ने 2021 से पूर्व पर्यटन व्यवसाय के पुनः प्रारम्भ होने की संभावना नहीं है। पर्यटन उद्योग का अस्तित्व, आर्थिक विकास व रोजगार में पूर्व की भांति भागेदारी कायम रह सकें, इसके लिए पर्यटन उद्योग को विशेष रियायतें, छूट व सुविधाओं की आवश्यकता है। होटलों व पर्यटन से जुडे़ अन्य व्यवसायियों ने मांग की है कि लम्बें समय तक बंद रहने से कर्मचारीयों को वेतन देना मुश्किल हो रहा है। पर्यटन को पूर्व की भांति त्प्च्ैण् 2019 में ज्ीतनेज ैमबजवत में सम्मिलित किया जाकर वेट व कर प्रमोशन टैक्स को लाभ दिया जायें। 

प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्व कों देखते हुए सरकार द्वारा इस व्यवसाय को विशेष संरक्षण व प्रोत्साहन की आवश्यकता है, (पूर्व वर्षो की तर्ज पर), बजट में बढ़ोतरी आवश्यक है, पर्यटन का राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव, पर्यटन सम्बन्धी रिसर्च एवं अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे सुव्यवस्थित प्लानिंग व प्रबंधन किया जा सकें व पर्यटन संवेधन के साथ, पर्यटकों कों आवश्यक सहयोग व सुरक्षा प्रदान की जा सकें। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)