जिला कलेक्टर ने वर्ष 2008 में शहीद स्मारक के लिए आवंटित की थी भूमि
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। ग्राम त्य़ोद के शहीद हुए लाल भगवान सिंह शेखावत के नाम से शहीद स्मारक के लिए आवंटित भूमि के बाद राजस्व रिकॉर्ड में अधिकारियों की लापरवाही के चलते 15 साल बाद भी शहीद का नाम दर्ज नहीं हो सका है। शहीद के पिता रूपसिंह शेखावत राजस्व विभाग के अधिकारीयों के चक्कर काटते काटते थक गए, अनेक पत्र लिखे यहां तक की पटवारी से लेकर कलेक्टर तक गुहार लगाई लेकिन फिर भी किसी का दिल नहीं पसीजा। बता दें कि शहीद स्मारक के लिए जिला कलेक्टर द्वारा वर्ष 2008 में ग्राम चौथ स्थित चरागाह भूमि को सार्वजनिक शहीद स्मारक हेतु आवंटित की गई थी। कलेक्टर के आदेश की पालना में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत तत्कालीन पटवारी ने राजस्व रिकॉर्ड में (जमाबंदी) में शहीद भगवान सिंह का नाम गौण करते हुए "सार्वजनिक शहीद स्मारक" ही कर दिया।
इस प्रकार सरकारी खाते में शहीद बेटे का नाम नहीं होने से माता पिता की भावनाएं आज ही आहत है। यद्यपि इस मामले में तत्कालीन उपखंड अधिकारी प्रभु दयाल शर्मा की ओर से 31 मई 2018 को एक पत्र जारी कर तहसीलदार सांभर से वस्तुस्थिति की रिपोर्ट मांगी गई थी जिस पर तत्कालीन तहसीलदार सांभर की ओर से शहीद भगवान सिंह शेखावत का राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने की सिफारिश करते हुए बताया था कि ग्राम त्योद में आराजी खसरा नंबर 426 / 235 रकबा 1 बीघा 10 बिस्वा की खातेदारी शहीद स्मारक के नाम दर्ज राजस्व रिकार्ड है। उक्त भूमि पूर्व में इसी नाम से आवंटन हुई थी। उक्त स्मारक को सार्वजनिक रखते हुए ही शहीद का नाम जोडकर भगवान सिंह शेखावत सार्वजनिक स्मारक किया जाना उचित बताया था।
तहसीलदार की सिफारिश के आधार पर उपखंड अधिकारी की ओर से भी इस मामले में जिला कलेक्टर को रिपोर्ट भिजवाई गई की थी लेकिन उसके बाद से आज तक इस संदर्भ में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं जिसकी वजह से मामला आज भी यथावत है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में भगवान सिंह शेखावत शहीद हुए थे। बताया जा रहा है कि इस मामले में राजनीतिक स्तर से भी कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं जिसकी वजह से शहीद के माता-पिता को आज भी उनके बेटे का राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने का इंतजार बना हुआ है।