लेखक : डा. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)
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वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में प्रस्तुत बजट 2023-24 को अमृतकाल का पहला बजट घोषित किया है जिसमें विकास का सुफल सभी क्षेत्रों और नागरिकों विशेषकर युवाओं, महिलाओं, किसानों, पिछड़े वर्गो, अनुसूचिज जाति एवं अनुसूचित जनजाति तक पंहुचाने का संकल्प बताया। चालू वर्ष में आर्थिक विकास दर के 7 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है। कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव के बावजूद उज्ज्वल दिशा की ओर बढ़ना बताया। लक्षित लाभ को सुलभ करने के लिए अनेक योजनाओं पर तेजी से कार्य करने के साथ समावेशी अर्थव्यवस्था, आर्थिक सुस्थिरता का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पंहुचाने का प्रयास बताया। रोजगार सृजन में तेजी लाने का वायदा किया है।
बजट में कहीं भी बेरोजगारी समाप्त करने अथवा कम करने का उल्लेख नहीं है। जिस कदर बेरोजगारी बढ़रही है, उसके संबंध में बजट में स्पष्टतया मौन धारण रखा गया है। देश में बढ़ रही मंहगाई एवं बढ़ती असमानता की रोकथाम का जिक्र नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि बेरोजगारी, मंहगाई और असमानता जैसे शब्द सम्मिलित ही नहीं किये गये। क्रूड आयल की कीमतें विश्वस्तर पर लगातार कम हो रही हैं परन्तु पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कमी करने का कोई संकेत नहीं है। बजट पूरी तरह पूंजीवादी समाज को लेकर बना है। किसानों की ऋण माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य बे संबंध में कोई उल्लेख नहीं है जबकि बड़े पूंजीपतियों के लाखों करोड़ों रूपए का ऋण सरकार ने माफ किया है।
व्यक्तिगत आयकर में छूट की सीमा नई कर व्यवस्था में 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख की गई है परन्तु पुरानी कर व्यवस्था में स्लेब में कोई बदलाव नहीं है। नई कर व्यवस्था में 6 आयकर स्लेब को घटाकर 5 किया गया है। 3 लाख तक शून्य, 3 से 6 लाख तक 5 प्रतिशत, 6 से 9 लाख तक 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख तक 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख तक 20 प्रतिशत और 15 लाख से उपर 30 प्रतिशत का स्लेब रखा गया है। इसके साथ ही उच्चतम कर दर 42.74 प्रतिशत मेंनई कर व्यवस्था में उच्चतम अधिकार को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने से उच्चतम कर दर 42.74 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत की गई है। 3000 कानूनी प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है।
पिछड़ी जातियों के कल्याण की घोषणा की गई है परन्तु पिछड़ी जातियों को विभिन्न रोजगार प्रारम्भ करने के लिए प्रदान किये जाने वाले ऋण राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। पिछड़ी जाति के छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप वस्तुतः बन्द कर दी गई है। अल्पसंख्यक वर्ग, मजदूर वर्ग व अत्यधिक पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कोई विशेष राशि या योजनाओं का उल्लेख नहीं है।
राजस्थान को इस बजट से निराशा हुई है। पूर्वी राजस्थान की पेयजल योजना ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया न ही उसके लिए कोई विशेष सहायता का प्रावधान किया गया है जबकि प्रधानमंत्री चुनावों के समय उसके बारे में वायदा कर चुके थे। राजस्थान में धौलपुर-सरमथुरा-गंगापुर सिटी वाया करौली रेल परियोजना गत 8 सालों से वस्तुतः रूकी पड़ी है। पूर्वी राजस्थान के डांग क्षेत्र की लाइफ लाइन होते हुए भी राजनैतिक कारणों से इसको महत्व एवं प्राथमिकता नहीं दी गई इससे पूर्वी राजस्थान का विकास दु्रत गति से नहीं हो सकेगा। आदिवासियों के विकास योजनाओं को भी महत्व नहीं दिया गया। राज्यों में जातिगत जनगणना नहीं होने से सामाजिक, आर्थिक असमानता रोकने और वास्तविक अत्यधिक पिछड़ों की मदद करने की कोई इच्छाशक्ति दिखाई नहीं देती।
अमृतकाल केइस बजट में मंहगाई, बेरोजगारी, असमानता, किसान, मजदूर और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वस्तुतः कुछ नहीं कहा गया है और न ही विशेष प्रयास इंगित किये गये है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)