पतंगबाजी का शोर, हाथ में डोरी, आसमां पर रही निगाहें

अरशद शाहीन 

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पीपलू। मकर संक्रांति के अवसर पर कस्बे सहित क्षेत्र में पतंगबाजी लोगों के सिर चढ़कर बोली। सुबह से देर शाम तक पतंगबाजी परवान पर रही। फिल्मी गीतों पर लोग छतों पर थिरकते हुए दिखे। पतंग उड़ा रे छोरा पतंग उड़ा, पेंच लड़ा री गोरी..., ढिल दे रे देरे भैया उस पतंग को..., उड़ी-उड़ी जाए उड़ती पतंग देखो...सरीके फिल्मी गीत बजते रहे। 

युवक-युवती ही नहीं हर उम्र के लोग पतंगबाजी का आनंद लेते नजर आए। ग्रामीण अंचलों में भी उत्साह, उमंग का माहौल बना रहा। हर ओर रंग-बिरंगी पतंगे तितलियों की भांति आसमान में थिरकती दिखाई दी। कई जगहों पर युवा डीजे की धुन पर थिरकते नजर आए। धूप चढऩे के साथ चश्मे का टशन भी देखने को मिला। वहीं पतंग उड़ाते हुए सेल्फियां भी खूब ली और उसे सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ शेयर करते रहे।