जयपुर। कलानेरी आर्ट गैलरी आज शाम 4 बजे से 22 जनवरी तक के लिए अमेरिका स्थित वैज्ञानिक डॉ. अल्पना गुप्ता द्वारा एक कला प्रदर्शनी की शुरूआत मुख्य अतिथि राजीव अरोड़ा (राज लघु उद्योग निगम एवं अध्यक्ष राज निर्यात संवर्धन परिषद), सम्मानित अतिथि पद्मश्री एस. शाकिर अली (प्रसिद्ध लघु और फ़ारसी कलाकार), और विशिष्ट अतिथि जानेमाने डॉ. सुरेश गुप्ता, अध्यक्ष और प्रमुख, न्यूरो साइंसेस विभाग, इटरनल हॉस्पिटल एवं जयपुर में एक प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट हैं के सानिध्य में की गई।
प्रदर्शनी का शुभारम्भ करते हुए मुख्य अतिथि राजीव अरोड़ा ने कहा इंसान दुनिया में कहीं भी जाकर बस जाए लेकिन उसके ज़ेहन से मातृभूमि की कला नहीं मिट सकती। उन्होंने कहा डॉ. अल्पना ने अपनी कलाकृतियों के माध्यम से बता दिया कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हमेशा साथ रहती है, बस हमें एक मौका मिलना चाहिए उसको धरातल पर उतारने का। इस अवसर पर सम्मानित अतिथि पद से बोलते हुए पद्मश्री एस. शाकिर अली ने कहा कि मैं खुद एक प्रसिद्ध लघु और फ़ारसी कलाकार होने के कारण समझ सकता हूँ कि डॉ. अल्पना ने काफी मेहनत के साथ इन पेंटिंग्स को बड़ी शिद्दत के साथ बनाया है, जिनमें काफी वक़्त और साजो सामान का चयन कर पेंटिंग्स तैयार की है।
प्रदर्शनी के शुभारम्भ अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेश गुप्ता (अध्यक्ष और प्रमुख, न्यूरो साइंसेस विभाग, इटरनल हॉस्पिटल एवं प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट) कहा अल्पना शुरू से ही कुछ न कुछ कलाकृतियां बनाती रहती थी। इनकी दिलचस्पी डॉक्टर होने के साथ-साथ पेंटिंग्स के माध्यम से प्रकृति एवं सांस्कृतिक कला को दर्शाने की रही, जिसको अवाम लोगों तक पहुंचाने का ख्याल जब अल्पना को आया तो मैंने इसका समर्थन किया और कलानेरी आर्ट गैलेरी को प्रदर्शनी स्थल के लिए चुना।
इस अवसर पर अपने पिता द्वारा प्रोत्साहित डॉ. अल्पना गुप्ता ने कहा कि कलानेरी आर्ट गैलरी में सजी संवरी करीब 150 पेंटिग्स लोगों के देखने एवं बिक्री के लिए मैंने संग्रहीत की हैं। उन्होंने ये भी कहा ये सभी पेंटिंग्स मातृभूमि के साथ मेरे संबंधों का एक वसीयतनामा है। हम इससे होने वाली आय भारत के गांवों में स्कूलों में पुस्तकालयों के वित्तपोषण के लिए दान की जाएगी। गौरतलब है कि यह प्रदर्शनी अद्वितीय है क्योंकि अल्पना एक फार्मास्युटिकल कंपनी में निदेशक के रूप में पूर्णकालिक कर्मचारी हैं, रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से प्रमुख चिकित्सीय क्षेत्रों में दवाओं का विकास करती हैं, और पेंटिंग बनाना मेरा शौक है। इस अवसर पर अनेक शख्सियतों ने हिस्सा लिया जिनमें कांग्रेस सेवादल की संध्या पुरोहित, डॉ. बेनजीर खान, इनकी नन्ही बेटी इनाया खान, पूर्व पार्षद ज़ाकिर खान, अनेक आर्टिस्ट एवं गणमान्य लोग प्रमुख रहे।
अल्पना की वैज्ञानिक यात्रा कम उम्र में ही शुरू हो गई थी क्योंकि उनके पिता - डॉ. पी.डी. गुप्ता - एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और स्वयं शोधकर्ता, का उन पर गहरा प्रभाव था। उसके पिता ने अपने कई प्रकाशनों के माध्यम से अल्पना को विज्ञान के कई अलग-अलग क्षेत्रों से परिचित कराया, जिसे वह पढ़ती थी क्योंकि पत्रिकाएँ घर के हर कोने में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध थीं। डॉ. पी.डी. गुप्ता ने दुनिया भर के आधे से अधिक देशों के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए हैं। समाज के लिए उनका प्रमुख योगदान कई मूल पत्र, किताबें और विज्ञान के क्षेत्र में कई अलग-अलग विषयों पर उनके द्वारा लिखे गए लोकप्रिय विज्ञान लेख हैं। यह सराहनीय है कि आज भी 83 वर्ष की आयु में डॉ. पी.डी. गुप्ता विज्ञान से संबंधित लेखों को सक्रिय रूप से और सक्रिय रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। अल्पना ने इस संबंध में अपने पिता का अनुसरण किया, और काम की व्यस्तता के बावजूद, पश्चिमी जीवन शैली के साथ भारतीय संस्कृति, मूल्यों और प्रथाओं को बढ़ावा देने में शामिल है ताकि इसे आसानी से अपनाया जा सके।
पीएचडी पूरी करने के बाद, निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से संबद्ध) में डिग्री लेने के बाद वह अमेरिका चली गईं, जहां वह अब बोहेरिंगर इंगेलहेम फार्मास्युटिकल्स (पिछले 15 वर्षों से) में नियामक मामलों में काम कर रही हैं, जो एक बड़ी फार्मा कंपनी है जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है। डॉ. अल्पना गुप्ता ने 28 से अधिक वर्षों तक अमेरिका में रहने के बावजूद भारतीय संस्कृति और इसकी समृद्ध विरासत के साथ अपना संबंध बनाए रखा है। भारतीय परंपराओं के लिए यह गहरी प्रशंसा और कला के प्रति उनका प्रेम उनके चित्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।