गहलोत सरकार के चार सालों के कामकाज पर डा. सत्यनारायण सिंह की नज़र

लेखक : डा. सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी फ्लैगशिप योजनाओं की मॉनिटरिंग बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि जनता में कांग्रेस सरकार का संदेश सही बना रहे। कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों का असर गहलोत ब्यूरोक्रेसी और प्रशासनिक मॉनिटरिंग पर नहीं पडऩा देना चाहते हैं। इंदिरा रसोई योजना के बारे में तो गहलोत ने अफसरों और जन प्रतिनिधियों को साफ कहा है कि वे महीने में दो बार इन रसोइयों में स्वयं खाना खाएं, ताकि लोगों के भोजन, पोषण और सेहत से जुड़ी इस योजना की बेहतर मॉनिटरिंग हो सके। 

इसके लिए उन्होंने विभिन्न बोर्ड-निगमों के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों को जयपुर बुलाकर उन्हें सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का प्रचार करने, भाजपा के आरोपों का जवाब देने और तार्किक बहस को आगे बढ़ाने का संदेश दिया था। अब गहलोत ने मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के माध्यम से सभी विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों और जिला कलक्टरों को फ्लैगशिप योजनाओं की निरंतर मॉनिटरिंग करने और स्वयं मौके पर जाकर उन्हें जांचने को कहा है। कुछ दिनों पहले मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने भी जयपुर में एक स्कूल का खुद निरीक्षण किया था।

ब्यूरोक्रेसी को स्पष्ट संदेश देने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पत्नी सुनीता गहलोत के साथ जयपुर में इंदिरा रसोई योजना के तहत भोजन किया। उन्होंने समस्त ब्यूरोक्रेसी को अपना संदेश समझा दिया कि वे फ्लैगशिप योजनाओंं के प्रति कैसी गुड गवर्नेन्स चाहते हैं। उन्होंने रसोई में भोजन करने वालों से भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई और माहौल के बारे में भी फीडबैक लिया। इस अवसर पर उनके साथ रहे विधानसभा के मुख्य उप सचेतक महेन्द्र चौधरी ने कहा कि फ्लैगशिप योजनाएं ही हमारी सरकार की सबसे बड़ी ताकत है। इनकी मॉनिटरिंग के लिए सीएम गहलोत ने भी सभी को कहा है। 

100 से अधिक फ्लैगशिप योजनाएं

गहलोत सरकार में राजस्थान में विभिन्न विभागों में 100 से अधिक फ्लैगशिप योजनाएं संचालित हैं। गहलोत अपनी सरकार को अगले वर्ष चुनावों में रीपीट करवाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। वे कई मौकों पर अपनी फ्लैगशिप योजनाओं को सरकार रीपीट करवाने का मुख्य आधार मानते हैं। ऐसे में ब्यूरोक्रेसी को उन पर फोकस करवाना बहुत जरूरी है।

चिरंजीवी मुफ्त चिकित्सा बीमा योजना

देश के किसी भी राज्य में 10 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त उपलब्ध करवाने वाली कोई और योजना नहीं है। इस योजना में शामिल लोगों को 10 लाख रुपए तक का इलाज पूर्णत: मुफ्त मिलता है।

इंदिरा रसोई

इस योजना के तहत प्रदेश भर लाखों लोगों को रोजाना मात्र 8 रुपए प्रति प्लेट की दर से भोजन मिलता है, जिसमें दाल, रोटी, चावल और सब्जी शामिल है।

शहरी रोजगार गारंटी योजना

इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित नरेगा की तर्ज अब शहरी क्षेत्रों में भी बेरोजगार मजदूरों को न्यूनतम 100 दिनों के लिए गांरटीड रोजगार मिलेगा। इस योजना का उद्घाटन हाल ही स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। 

वृद्धावस्था पेंशन 

इसके तहत 58 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष और 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं पात्र हैं। उनकी पेंशन 750 से रुपए प्रतिमाह शुरू होती हैं। 65 वर्ष की उम्र पर यह 1000 रुपए प्रतिमाह मिलती है।

उड़ान योजना 

इस योजना के तहत किशोरियों-युवतियों को स्कूल-कॉलेजों में मुफ्त सैनेटरी पैड दिए जाते हैं। इस योजना के तहत हाल ही सरकार को सैनेटरी पैड की खराब गुणवत्ता की शिकायत मिली थी। 

ओबीसी, एमबीसी और ईडब्ल्यूएस को राहत 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा निर्णय लेते हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। अब ऐसे अभ्यर्थी जो किन्ही कारणों से आवेदन की अंतिम तिथि तक जारी प्रमाण पत्र (ओबीसी, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस) प्रस्तुत नहीं कर पाए उन्हें नौकरी से वंचित न किया जाकर एक शपथ पत्र लिखवाकर नौकरी प्राप्त करने का अवसर दिया जाएगा। सीएम गहलोत ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।  

गहलोत सरकार ने शिथिलता देते हुए निर्णय लिया है कि यदि अभ्यर्थी द्वारा अंतिम तिथि के पश्चात का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो इस आशय का एक शपथ पत्र लिखवाया जाएगा तथा उसे प्रक्रिया में शामिल करवाया जाएगा। सीएम गहलोत के निर्णय से इस वर्ष विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के अनेक अभ्यर्थी लाभांवित होंगे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में 20 जनवरी 2022 को जारी परिपत्र के अनुसार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी के पास सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र आवेदन भरने की अंतिम तिथि से पूर्व का होना आवश्यक था। इस परिपत्र की अनुपालना में पशुधन सहायक सीधी भर्ती परीक्षा- 2021, कनिष्ठ अभियंता सीधी भर्ती परीक्षा- 2022 एवं पटवारी सीधी भर्ती- 2021 की विज्ञप्ति  20 जनवरी  2022 से पूर्व हो जाने से संशय की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। राजस्थान सरकार ने शिक्षा विभाग में संविदा में कार्यरत 31 हजार से अधिक शिक्षाकर्मी, पैराटीचर्स और पंचायत सहायकों को दिवाली का तोहफा दिया है। 

इन कार्मिकों को राजस्थान सिविल पदों पर संविदा पर रखा जाना नियम-2022 में शामिल किया है। इसके तहत इनके पदनाम और वेतनमान भी बदले गए हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार स्कूल शिक्षा, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार गोयल ने इसको लेकर आदेश जारी किए। गहलोत सरकार के इस कदम के बाद अब शिक्षा कर्मी शिक्षा सहायक, पैराटीचर्स पाठशाला सहायक और ग्राम पंचायत सहायक विद्यालय सहायक कहलाएंगे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)