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जयपुर। राष्ट्रीय समरस संस्थान सृजन (जयपुर इकाई) एवं जयपुर काव्य साधक (जकासा) की कवि गोष्ठी दुर्गापुरा, जयपुर स्थित किशोर पारीक 'किशोर' जी के स्टूडियों में सम्पन्न हुई । समरोह की अध्यक्षता अजमेर से पधारी वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती पुष्पाशर्मा कुसुम जी द्वारा की गई। समारोह के मुख्य अतिथि जनसम्पर्क निदेशालय के अरुण जोशी, विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ कवि लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला और राष्ट्रीय कवि वरुण चतुर्वेदी थे। दीप प्रज्वलन के बाद भगवान सहाय जोशी वैद्य जी द्वारा राजस्थान में सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
गोष्ठी का संचालन करते हुए जकासा के संस्थापक किशोर पारीक किशोर ने जकासा का और महेश भटनागर, अध्यक्ष, समरस संस्थान की जयपुर ने परिचय प्रस्तुत किया।
गोष्ठी में निम्न पुस्तकों का विमोचन भी किया गया : कविता संग्रह महके काव्य सुमन-कृतिकार श्रीमती राजेश्वरी जोशी "आदरा", काव्य-संग्रह-चमकते सितारे-कृतिकार डाक्टर एन.एल. शर्मा, दोनों पुस्तकों के बारे में लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ने वाचन प्रस्तुत करते हुए पुस्तकों पर प्रकाश डाला। महके काव्य सुमन की कृतिकार श्रीमति राजेश्वरी जोशी 'आद्रा' ने और चमकते सितारे पुस्तक से डॉ. एन. एल. शर्मा 'निर्भय' ने पुस्तकों से रचनाओं का वाचन किया। मुख्य अतिथि अरुण जोशी ने अपने सम्बोधन में विचार व्यक्त करते कहा कि रचना वही श्रेष्ठ है जिसे पाठक आदि से अंत तक पढ़कर मंत्र मुग्ध हो जाये और जिसमें सन्देश हो।
इसके बाद कविगोष्ठी में राजेश खण्डेलवाल, महेश भटनागर, अरुण ठाकर, भगवान सहाय वैद्य, प्रकाश दाधीच, डॉ. एन एल शर्मा, श्रीमती राजेश्वरी "आद्रा", श्रीमती रश्मि शर्मा, विजय मिश्र 'दानिश' जी, पुण्यमित्र अरोड़ा, कान्हा, किशोर पारीक किशोर, श्रीमती पुष्पा शर्मा 'कुसुम' जी, लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला और वरुण चतुर्वेदी ने काव्य पाठ को खूब तालिया बटोरी। अंत मे अध्यक्ष के प्रति धन्यवाद प्रकट करने और ढूंढाड़ी भाषा के पुरोधा कवि स्व. बिहारी शरण पारीक जी श्राद्धंजली अर्पित कर गोष्ठी का समापन हुआ।