बच्चों को हक दिलाने के लिए संघर्ष करती किस्मत
प्रकाश चपलोत जैन
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भीलवाड़ा। बचपन की बेमेल शादी में आगे चलकर अक्सर बिखराव आ जाता है, ऐसा ही एक वाकया राज्य सरकार की ओर से बाल अधिकारिता विभाग,यूनिसेफ एवं पीसीसीआरसीएस के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे यात्रा कार्यक्रम के दौरान जहाजपुर तहसील के रावत खेड़ा ग्राम पंचायत के वैष्णव मोहल्ला रामगढ़ में देखने को मिला। जहा अपनी किस्मत को रो रही 32 वर्षीय किस्मत ने बताया कि 17 वर्ष पूर्व 15 वर्ष की उम्र में तस्वारिया निवासी घनश्याम वैष्णव के साथ उसकी शादी हुई थी। गृहस्थी ठीक ठाक चल रही थी चार वर्ष बाद पति ने उसकी बुवा की बहू यानी रिश्ते में भाभी मैना को लेकर फरार हो गया।
अपनी किस्मत को रोती किस्मत अपने पीहर चली आई। उसके दो पुत्र लखन 13 और राहुल 11 वर्ष के है। अपने हक के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रही है इसी बीच सामाजिक पंचों ने 1500 रुपये प्रति माह भरण पोषण देने का समझौता करवाया। लेकिन पति घनश्याम वैष्णव अब मैना को साथ लेकर घर पर हर रहने लग गया। वही दुसरी और किस्मत कानूनी लडाई लडते हुए दोनो बच्चों का जैसे तैसे भरण पोषण कर रही है। मगर उसे व उसके बच्चों को आज दिन तक सरकार की और से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई। वही पंचायत के सरपंच एवं राजनेता सिर्फ आश्वासन ही देते है।