सांभर में सरसों का ताजिया सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

कई दशकों से हिंदू परिवार की ओर से तैयार करवाया जाता है यह खास ताजिया

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। में कई दशकों से हिंदू परिवार की ओर से बनवाया जाने वाला सरसों का ताजिया राजस्थान में सांप्रदायिक सौहार्द की खास मिसाल कायम किए हुए हैं। यूं तो सांभर में ताजियेदारों की ओर से अनेक ताजिये बनाए जाते हैं जिन्हें देखने के लिए भी लोगों का हुजूम उमड़ता है लेकिन यह सरसों का ताजिया सभी वर्ग के लोगों के लिए खास आकर्षण है केंद्र भी होता है।  

सरसों के ताजिये का निर्माण करने के लिए करीब 15 रोज पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर ली जाती है। इसके कारीगर पहले बांस की खपच्चियों से इसका खाका तैयार करते हैं। इसके बाद इसके ऊपर चारों तरफ रूई लपेटी जाती है। रुई में ही सरसों के दाने पहले से ही डाल दिए जाते हैं। इसके पश्चात इसकी खास तरीके से सिंचाई की जाती है, यह भी ध्यान रखा जाता है की इसकी सिंचाई ना अधिक हो और ना ही कम। धीरे धीरे रुई में से सरसों के दानों का अंकुरित फूटना शुरू हो जाता है। 

इसकी खास देखभाल करते हैं और ताजिया निकलने के वक्त तक यह ताजिया पूरी तरह से हरा भरा हो जाता है।  ताजिया निकलने के दौरान यह हिंदू परिवार पूरे वक्त तक मुस्लिम भाइयों के साथ ही चलता है, जो हिंदू मुस्लिम एकता का खास संदेश भी देता है। माना जाता है कि बुरी नजर से बचने के लिए भी अनेक बच्चे इसके नीचे से होकर भी निकलते हैं। मंगलवार को ताजिया निकलने के दौरान पर्याप्त पुलिस और प्रशासन का जाब्ता तैनात रहा। इससे पहले सोमवार की रात्रि को ही अंजुमन हुसानियां दरगाह कमेटी की ओर से बनवाया गया गश्त का ताजिया रात को प्रमुख जगहों से निकाला गया।